सर्दियों के मौसम में पशुपालकों को पशुओं का विशेष ध्यान रखना होता है, क्योंकि इस समय में पशुओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। खासतौर पर, यदि उचित देखभाल न की जाए तो ना केवल उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, बल्कि दूध उत्पादन में भी कमी आ सकती है। इसलिए, सर्दियों में पशुओं की देखभाल करना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे और दूध उत्पादन भी उच्चतम स्तर पर बना रहे। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि सर्दियों में पशुओं की देखभाल कैसे करें, उनके दूध उत्पादन को कैसे बढ़ाएं, और उन्हें क्या खिलाना चाहिए तथा क्या नहीं। इसके अलावा सही पशु आहार, गर्म वातावरण, और पशुओं का समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण करके आप उनके स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं और दूध उत्पादन में कमी को भी रोक सकते हैं। वहीं, सर्दियों के मौसम में पशुपालक भाई अपने पशुओं की देखभाल में कैसे विशेष एहतियात बरतें, ताकि पशुओं के दुग्ध उत्पादन पर बदलते मौसम का असर न पड़े। वहीं, संतुलित आहार की मात्रा का चुनाव कैसे करें और कौन-कौन से पौष्टिक आहार का सेवन कराना चाहिए। इन सभी सवालों का जवाब आपको इस लेख में विस्तार से मिलेगा इसके लिए आप लेख को अंत तक जरूर पूरा पढ़ें।
सर्दियों में किस तरह का पशु आहार चुनें?
पशु आहार का सर्दियों में चयन सावधानी से करना चाहिए। ताकि उनके स्वास्थ्य में कोई कमी न हो और उनकी उत्पादन क्षमता भी बनी रहे। साथ ही सर्दियों के मौसम में दूधारू पशु जैसे-गाय, भैंस का आहार ऐसा होना चाहिए जिसे पशु आसानी से पचा सके। इसके अलावा सर्दी के मौसम में पशुओं के शरीर को गर्म रखने के लिए विशेष आहार की आवश्यकता होती है। इस तरह से सर्दियों में पशुओं के आहार को चुनना चाहिए।
पाचन क्षमता वाला चारा:
सर्दियों में ऐसे पशु आहार का चयन करना चाहिए, जो पचने में आसान हो और उच्च पाचन क्षमता वाला हो। भूसा (सूखा चारा) इस मौसम में प्रमुख रूप से दिया जाना चाहिए। क्योंकि यह शरीर को गर्मी प्रदान करता है और पशु को पर्याप्त ऊर्जा मिलती है।
गेहूं का दलिया, ज्वार और चना:
सर्दी में पशुओं को गेहूं का दलिया, ज्वार, चना, और सरसों की खली देना फायदेमंद होता है। ये खाद्य पदार्थ न केवल पशु को ठंड से बचाते हैं, बल्कि दूध उत्पादन को भी बढ़ाते हैं। इन पशु आहारों से ऊर्जा की आवश्यकता पूरी होती है और वे स्वस्थ रहते हैं।
बिनौला :
सर्दियों में बिनौला का सेवन भी लाभकारी होता है, लेकिन इसे पहले रातभर पानी में भिगोकर रखना चाहिए। सुबह इसे उबालकर ताजा पानी के साथ देना चाहिए। यह पशुओं के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है और इससे दूध का उत्पादन भी बढ़ सकता है।
उच्च कैलोरी और खनिज तत्व:
सर्दियों में उच्च कैलोरी वाले पशु आहार में विटामिन और खनिज लवण की उचित मात्रा मिलानी चाहिए। सांद्र राशन में 2 प्रतिशत खनिज तत्व और 1 प्रतिशत नमक मिलाना चाहिए ताकि पशुओं को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।
आहार की मात्रा को सावधानी से बढ़ाएं:
पशुओं को दी जाने वाली आहार की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए, ताकि उनका पाचन तंत्र उसे सही तरीके से पचा सके। यदि आहार की मात्रा एकदम से बढ़ा दी जाती है, तो इससे उनका पाचन बिगड़ सकता है।
भीगे दाने से सावधान:
रातभर कोहरे में रखा हुआ भीगा दाना मिश्रण पशु को नहीं खिलाना चाहिए। क्योंकि इससे पशु बीमार हो सकता है। इसलिए, दाना मिश्रण को देने से पहले यह सुनिश्चित करें कि उसका तापमान सामान्य हो।
दलहनी हरे चारे का संतुलित सेवन:
सर्दियों में दलहनी हरे चारे का अधिक सेवन पशु को आफरा की समस्या का कारण बन सकता है। इसलिए, दलहनी चारे को संतुलित मात्रा में ही देना चाहिए।
अच्छी गुणवत्ता का सूखा चारा:
सर्दी में अच्छे गुणवत्ता वाले सूखे चारे का चयन करें जैसे जई, रिजका, सीवण घास, बाजरा कड़बी, गेहूं की तूड़ी इत्यादि। इस तरह के चारे से पशुओं को आवश्यक पोषण मिलता है और उनकी स्वास्थ्य समस्याएं कम होती हैं।
हरे चारे का सेवन:
हरे चारे में जई, सरसों की चरी, लोबिया, रजका, बरसीम आदि को शामिल करें। ये हरे चारे प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो पशुओं की सेहत के लिए अच्छे होते हैं।
प्रोटीन के स्रोत:
प्रोटीन के लिए कपास, मूंगफली, तिल, सरसों की खल, मूंग-मोठ या ग्वार की चूरी देना जरूरी है। यह दूध के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है और पशु के शरीर को स्वस्थ रखता है।
इस प्रकार, सर्दियों में पशुओं का आहार उनके स्वास्थ्य, दूध उत्पादन और शरीर की ऊर्जा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। सही आहार का चयन करने से पशु न केवल ठंड से बचता है, बल्कि उसकी उत्पादन क्षमता भी बनी रहती है।
क्या है पौष्टिक आहार का विकल्प?
पशु आहार में पोषण का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सही आहार न केवल उनके स्वास्थ्य को बनाए रखता है, बल्कि दूध उत्पादन को भी बढ़ाता है। पौष्टिक आहार पशुओं की शारीरिक अवस्था, नस्ल और मौसम के हिसाब से अलग-अलग होता है। सर्दियों में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि ठंड के मौसम में पशुओं को अतिरिक्त ऊर्जा और पोषण की आवश्यकता होती है।
जानें पौष्टिक पशु आहार के कुछ महत्वपूर्ण विकल्पों के बारे में:
- हरे चारे के विकल्प: हरे चारे में ऐसे पौधों को शामिल करना चाहिए जो उच्च पोषण प्रदान करते हैं। सर्दियों में हरे चारे की उपलब्धता कम होती है, लेकिन कुछ पौधे जो अच्छे पोषण प्रदान करते हैं। जैसे
- जई: जई का चारा पशुओं के लिए बहुत फायदेमंद है, क्योंकि यह उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन और ऊर्जा प्रदान करता है।
- सरसों चरी: यह पौष्टिक चारा पशुओं को अच्छे स्वास्थ्य और दूध उत्पादन में मदद करता है।
- लोबिया: लोबिया चारा प्रोटीन का अच्छा स्रोत है और पशुओं के विकास के लिए लाभकारी है।
- रजका: यह एक अन्य हरा चारा है, जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और दूध उत्पादन में सहायक है।
- बरसीम: बरसीम हरा चारा पशुओं के लिए बहुत अच्छा होता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन और विटामिन की अच्छी मात्रा होती है। इसे सर्दियों में भी दिया जा सकता है।
- इन हरे चारे के विकल्पों को सूखे तुड़े या पैडी के साथ मिलाकर दिया जा सकता है।
- प्रोटीन स्रोत: पशुओं के आहार में प्रोटीन का होना बहुत आवश्यक है, क्योंकि यह मांसपेशियों की वृद्धि और दूध उत्पादन के लिए मददगार होता है। प्रोटीन के लिए ये हैं विकल्प।
- कपास खल: यह एक अच्छा प्रोटीन स्रोत है, जो दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है।
- मूंगफली: मूंगफली का खल भी प्रोटीन और ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।
- तिल: तिल का खल भी प्रोटीन और आवश्यक खनिज प्रदान करता है।
- सरसों की खल: यह प्रोटीन और फाइबर का अच्छा स्रोत है और पशुओं के लिए उपयोगी होता है।
- मूंग-मोठ या ग्वार की चूरी: ये प्रोटीन और ऊर्जा से भरपूर होते हैं, और पशुओं के शरीर के विकास में सहायक होते हैं।
- साइलेज: साइलेज भी दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है। यह एक प्रकार का संरक्षित हरा चारा है, जो विशेष रूप से सर्दियों में उपयोगी होता है। साइलेज का उपयोग विशेष रूप से उच्च दूध उत्पादन वाले पशुओं के लिए किया जा सकता है।
- सांद्र आहार: दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष रूप से भैंसों को प्रति किलो दूध पर 1 किलो सांद्र आहार अतिरिक्त दिया जाना चाहिए। सांद्र पशु आहार में उच्च कैलोरी, प्रोटीन, और खनिज होते हैं, जो दूध उत्पादन को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, खनिज मिश्रण और एनर्जी बूस्टर भी दूध उत्पादन में सहायक होते हैं।
- सूखा चारा: सर्दियों में पशुओं को सूखा चारा अधिक देना चाहिए। सूखा चारा ऊर्जा का अच्छा स्रोत होता है और इसे तुड़े (पैडी) के रूप में शामिल किया जा सकता है। यह न केवल ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है। तुड़ा (पैडी) विशेष रूप से ऊर्जा का प्रमुख स्रोत होता है। सूखा चारा सामान्यत: सर्दियों में अधिक मात्रा में दिया जाता है, क्योंकि यह शरीर को गर्म रखने में मदद करता है।
- अनाज का आहार: सर्दियों में पशुओं को गेहूं का दलिया, खल, चना, ग्वार, और बिनोला जैसे अनाज देने से लाभ होता है। इन अनाजों को रातभर पानी में भिगोकर रखा जा सकता है, फिर सुबह ताजा पानी में उबालकर पशुओं को दिया जाता है। इससे पशुओं को अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है और दूध उत्पादन में वृद्धि होती है।
- विशेष देखभाल और आहार प्रबंधन: पशुओं को सही आहार देने के साथ-साथ उनकी देखभाल भी महत्वपूर्ण है। उचित देखभाल से दूध उत्पादन की क्षमता को 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा, ठंडी में पशुओं को गर्म रखने के लिए उन्हें धूप में रखना चाहिए और गुनगुना पानी देना चाहिए।
- आहार की मात्रा का निर्धारण: सर्दियों में, पशु आहार की मात्रा को अन्य मौसमों की तुलना में अधिक रखना चाहिए। सर्दी में शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है, ताकि पशु अपने शरीर को गर्म रख सके।
यानी पौष्टिक पशु आहार से न केवल पशु स्वस्थ रहते हैं, बल्कि दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है। हरे चारे, प्रोटीन स्रोत, साइलेज, और सूखा चारा जैसे विकल्पों को सही मात्रा में देने से पशुओं को अच्छा पोषण मिलता है। इसके अलावा, सांद्र आहार, खनिज मिश्रण, और एनर्जी बूस्टर भी दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं। पशुओं की सही देखभाल और आहार के प्रबंधन से अधिक दूध प्राप्त किया जा सकता है, जिससे पशुपालकों को अधिक लाभ होता है।
पशुओं के लिए सही मात्रा का पशु आहार क्या है?
पशु आहार उनकी नस्ल, उम्र, शारीरिक अवस्था और मौसम के हिसाब से अलग-अलग होता है। सही मात्रा में आहार देने से पशु स्वस्थ रहते हैं और उनका उत्पादन क्षमता भी बढ़ता है। इस लेख में हम जानेंगे कि पशुओं के लिए सही मात्रा का आहार क्या होना चाहिए और इसे कैसे तैयार किया जाए।
पशु की शारीरिक अवस्था के अनुसार आहार।
पशुओं को उनके शारीरिक अवस्था के आधार पर आहार देना चाहिए। शारीरिक अवस्था से तात्पर्य है कि पशु गर्भावस्था में है, दुग्ध उत्पादन कर रहा है, या फिर शुष्क अवस्था में है (जब वह दूध नहीं दे रहा)। प्रत्येक अवस्था में पोषण की आवश्यकता अलग होती है।
गर्भावस्था: गर्भवती पशु को आहार में अधिक प्रोटीन, खनिज और ऊर्जा की आवश्यकता होती है, ताकि वह अपने विकासशील बछड़े को सही पोषण दे सके।
दुग्धकाल: दूध देने वाले पशुओं को अधिक ऊर्जा, प्रोटीन, और खनिज की आवश्यकता होती है, ताकि उनका दूध उत्पादन बेहतर हो सके।
शुष्ककाल: इस दौरान, पशु का आहार सामान्य होता है, क्योंकि वह दूध नहीं दे रहा होता और उसकी पोषण की आवश्यकता कम होती है।
आहार की मात्रा का निर्धारण।
सर्दियों में पशुओं को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, क्योंकि ठंड के मौसम में उनका शरीर अधिक ऊर्जा खर्च करता है। जैसे:
देशी पशु: देशी नस्ल के पशुओं को प्रतिदिन 8 से 10 किलो पशु आहार की आवश्यकता होती है।
संकर नस्ल की गाय: संकर नस्ल की गायों को प्रतिदिन 10 से 12.5 किलो आहार की आवश्यकता होती है। इन पशुओं के लिए आहार की मात्रा मौसम और उनकी शारीरिक अवस्था के अनुसार तय की जाती है।
पशु आहार का मिश्रण।
पशु आहार का मिश्रण तैयार करते समय सही मात्रा में विभिन्न घटक डालने चाहिए, ताकि पशु को सही पोषण मिल सके। दाना मिश्रण में निम्नलिखित घटक शामिल किए जाने चाहिए:
- दाने (40%): दाने आहार का मुख्य हिस्सा होते हैं, जो ऊर्जा प्रदान करते हैं।
- खल (32%): खल प्रोटीन और ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।
- चापड़ (25%): यह आहार में रेशे का अच्छा स्रोत होता है।
- खनिज लवण (2%): खनिज लवण पशु के लिए आवश्यक होते हैं, जो हड्डियों और दांतों के विकास में मदद करते हैं।
- नमक (1%): नमक पशु आहार में खनिजों का संतुलन बनाए रखता है।
इस मिश्रण से पशु को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है और दूध का उत्पादन भी बढ़ता है।
पाचन क्षमता
पशु आहार की पाचन क्षमता 60% से अधिक होनी चाहिए। यदि आहार का पाचन अच्छा होगा, तो पशु इसे अच्छे से पचा पाएंगे और इसके परिणामस्वरूप उनका स्वास्थ्य और दूध उत्पादन बेहतर होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, दुधारू पशुओं को 60% से अधिक पाचन क्षमता वाला चारा देना चाहिए।
सर्दियों में आहार की विशेषताएँ।
सर्दियों में विशेष रूप से अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, इसलिए दाना मिश्रण की अतिरिक्त मात्रा दी जानी चाहिए। इसके अलावा भूसा दुधारू पशुओं के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। इसे सर्दियों में भरपेट देना चाहिए ताकि पशु को पर्याप्त ऊर्जा मिल सके। वहीं, हरे चारे में बरसीम और जई खास तौर पर प्रभावी होते हैं और इन्हें सर्दियों में दिया जा सकता है।
पशुओं के लिए अतिरिक्त आहार।
दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुओं को कुछ अतिरिक्त पशु आहार दिए जा सकते हैं:
सांद्र आहार: दुधारू पशुओं को प्रति 2 किलो दूध पर 1 किलो सांद्र आहार देना चाहिए।
साइलेज: अधिक दूध उत्पादन के लिए पशुओं को साइलेज भी दिया जा सकता है। यह चारे का एक प्रकार है जो अधिक पोषक तत्व प्रदान करता है। गेहूं का दलिया, खल, चना, ग्वार, बिनौला जैसे खाद्य पदार्थों को रात में पानी में भिगोकर सुबह उबालकर दिया जा सकता है। यह आहार पशुओं को दिन में तीन बार दिया जा सकता है, जिससे उनके दूध उत्पादन में वृद्धि होती है।
पानी और अन्य महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ।
पशुओं को पर्याप्त पानी देना भी महत्वपूर्ण है। सर्दियों में उन्हें गुनगुना पानी देना फायदेमंद होता है, क्योंकि यह उनके पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और शरीर को गर्म रखता है।
पशुओं का आहार उनकी शारीरिक अवस्था, नस्ल, और मौसम के आधार पर तय किया जाना चाहिए। सही आहार से न केवल पशु स्वस्थ रहते हैं, बल्कि उनका दूध उत्पादन भी बढ़ता है। सर्दियों में खास ध्यान दिया जाता है कि पशु को अधिक ऊर्जा और संतुलित आहार मिले, ताकि उनका स्वास्थ्य और उत्पादन क्षमता बेहतर बनी रहे।
पशु की डाइट को संतुलित कैसे रखें?
पशु की डाइट को संतुलित रखना उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। संतुलित पशु आहार पशुओं की शारीरिक आवश्यकता को पूरा करता है और उनके स्वास्थ्य को बनाए रखता है, जिससे दूध का उत्पादन भी बढ़ता है। सर्दियों में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, क्योंकि ठंडे मौसम में उनके शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा और पोषण की जरूरत होती है।
संतुलित आहार में निम्नलिखित प्रमुख घटक होते हैं:
सरसों चरी, लोबिया, रजका, बरसीम: ये हरे चारे के महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जो पशुओं को आवश्यक प्रोटीन और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
गेहूं का दलिया, चना, खल, ग्वार, बिनौला: ये सभी पशुओं के लिए कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन का अच्छा स्रोत होते हैं। बिनौला को भिगोकर देना पशुओं के लिए फायदेमंद होता है। इन आहारों को मिलाकर एक संतुलित मिश्रण तैयार किया जा सकता है, जो पशु की सभी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करता है।
संतुलित आहार का मिश्रण:
संतुलित आहार में निम्नलिखित घटकों को मिलाया जा सकता है:
- 35-40% खल, दालों और चने का चोकर: यह पशु के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है।
- 20-25% चना और दालों का चोकर: यह प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा प्रदान करता है।
- 2-3% प्रोटीन, विटामिन और मिनरल मिश्रण: पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए यह बहुत जरूरी है।
- 2-3% नमक: यह पशु आहार में खनिज तत्वों का संतुलन बनाए रखता है।
इस मिश्रण से पशु को सभी जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे उसका स्वास्थ्य सही रहता है और दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
सर्दियों में उच्च कैलोरी वाले आहार: सर्दियों में पशुओं को उच्च कैलोरी वाला आहार देना जरूरी होता है। ठंड में उनका शरीर ऊर्जा खर्च करता है, जिससे उनका वजन घट सकता है। इसलिए, सर्दियों में विटामिन और खनिज लवण को आहार में जरूर शामिल करना चाहिए। सांद्र राशन में 2% खनिज तत्व और 1% नमक मिलाना चाहिए ताकि पशुओं की पोषण संबंधी सभी आवश्यकताएँ पूरी हो सकें।
धीरे-धीरे आहार की मात्रा बढ़ाना: सर्दियों में आहार की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए, ताकि पशु का पाचन तंत्र उसे आसानी से पचा सके। यदि आप अचानक अधिक आहार देंगे, तो इससे पशु का पाचन बिगड़ सकता है। पशु आहार की सही मात्रा और समय पर ध्यान देना जरूरी है।
कोहरे में भीगा दाना मिश्रण से बचाव: रातभर कोहरे में रखा हुआ भीगा दाना मिश्रण ठंडा हो जाता है और उसे पशु को देना नुकसानकारी हो सकता है। ठंडे आहार से पशु बीमार हो सकते हैं। इसलिए, पशु को भीगा दाना देने से पहले यह सुनिश्चित करें कि उसका तापमान सामान्य हो।
दलहनी हरे चारे का संतुलित सेवन: सर्दियों में दलहनी हरे चारे का अधिक सेवन करने से पशु को आफरा (गैस्ट्रिक समस्या) हो सकता है। इसलिए, इसे संतुलित मात्रा में ही देना चाहिए। साथ ही, हरे चारे में जई, सरसों चरी, लोबिया, रजका या बरसीम जैसे चारे शामिल करने चाहिए, जो पशु के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।
स्वच्छ और ताजे पानी की उपलब्धता: सर्दियों में भी पशुओं को स्वच्छ और ताजे पानी की पर्याप्त मात्रा मिलनी चाहिए। पानी पीने से पशुओं के शरीर में पोषक तत्वों का सही तरीके से अवशोषण होता है। गुनगुना पानी विशेष रूप से ठंड में फायदेमंद होता है। यह पशुओं को गर्म रखने में मदद करता है और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है।
सरसों का तेल और अन्य बूस्टर: सर्दियों में पशुओं को सरसों का तेल भी पिलाना फायदेमंद हो सकता है। यह उनका शरीर गर्म रखता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा, एनर्जी बूस्टर और खनिज मिश्रण भी दूध के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं।
साफ-सफाई और सही देखभाल: पशु आहार केवल तभी प्रभावी रहेगा, जब उसकी देखभाल सही तरीके से की जाएगी। नियमित रूप से पशुओं को साफ रखें, और उनकी बाड़े की सफाई भी करें। ठंडी में सही ढंग से पशुओं को धूप में रखना चाहिए, ताकि वे ठीक से पचें और स्वस्थ रहें।
सर्दियों में पशुओं का संतुलित आहार उनके स्वास्थ्य, दूध उत्पादन, और शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। सही आहार, पानी, और देखभाल से न केवल पशु स्वस्थ रहते हैं, बल्कि उनका दूध उत्पादन भी बढ़ता है। संतुलित आहार से उनका पाचन तंत्र सही रहता है, और वे ठंडे मौसम में भी स्वस्थ रहते हैं।
गाभिन पशुओं और दूध देने वाले पशुओं के आहार में क्या अंतर है?
पशुओं के आहार सर्दियों में गाभिन और दूध देने वाले के लिए अलग-अलग होने चाहिए। क्योंकि दोनों की पोषण संबंधी आवश्यकताएँ अलग-अलग होती हैं। सर्दी के मौसम में तापमान गिरने से पशुओं की ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। साथ ही साथ उनके शरीर को गर्म रखने के लिए ज्यादा भोजन की जरूरत होती है। ऐसे में गाभिन पशुओं का आहार ऐसा होना चाहिए।
गाभिन पशुओं की पोषण संबंधी आवश्यकताएँ सामान्य पशुओं से अधिक होती हैं। उन्हें पर्याप्त प्रोटीन, खनिज, और विटामिन की आवश्यकता होती है ताकि उनके शरीर और बच्चे दोनों का सही तरीके से विकास हो सके। सर्दियों में उन्हें गर्मी बनाए रखने के लिए उच्च ऊर्जा वाली घास और चारा देना जरूरी होता है। साथ ही, कैल्शियम और फास्फोरस जैसे खनिजों की भी अच्छी मात्रा दी जानी चाहिए, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान बछड़े के विकास के लिए ये महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा गर्भवती पशुओं को भी सर्दियों में एक से दो किग्रा संतुलित पशु आहार देते रहना चाहिए। पशुओं को अच्छी गुणवत्ता वाला सूखा चारा, बाजरा कड़बी, रिजका, सीवण घास, गेहूं की तूड़ी, जई का मिश्रण पशुओं को खिला सकते हैं, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होगी।
दूधारू पशुओं का आहार: दूध देने वाले पशुओं को पर्याप्त ऊर्जा और प्रोटीन की आवश्यकता होती है, ताकि वे अच्छा दूध उत्पादन कर सकें। सर्दी में दूध देने वाले पशु को अधिक ऊर्जा देने के लिए चारे के साथ साथ ताजे हरे चारे, सड़ी घास और ऊर्जा से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे जौ, चावल की भूसी, और मक्का देना चाहिए। दूध के उत्पादन के लिए इन पशुओं को अधिक कैल्शियम और फास्फोरस की जरूरत होती है। साथ ही, सर्दियों में उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत रखने के लिए विटामिन ए और डी की भी खुराक दी जानी चाहिए। इस प्रकार, गाभिन और दूध देने वाले पशुओं के आहार में सर्दियों के मौसम में पोषण की विशेष आवश्यकता होती है, ताकि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे और उनकी उत्पादन क्षमता भी बनी रहे।
सर्दियों में इन बातों का रखें ध्यान?
सर्दियों में पशुओं की देखभाल के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है, ताकि वे स्वस्थ रहें और उनका दूध उत्पादन भी अच्छा रहे।
संतुलित पशु आहार: ठंडे मौसम में पशुओं को संतुलित आहार देना चाहिए। संतुलित आहार में ऊर्जा, प्रोटीन, खनिज तत्व, विटामिन, वसा और पानी सहित सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होने चाहिए, ताकि पशु स्वस्थ रह सकें और उनका दूध उत्पादन प्रभावित न हो।
खानपान और दूध निकालने का समय: ठंड के मौसम में पशुओं के खानपान और दूध निकालने का समय एक समान रखना चाहिए, ताकि उनका पाचन तंत्र ठीक से काम कर सके और दूध की गुणवत्ता बनी रहे।
टीकाकरण: ठंड के मौसम में पशुओं को विभिन्न बीमारियों से बचाने के लिए पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जा रहे विशेष टीकाकरण अभियानों में भाग लेना चाहिए। इससे पशु संक्रमण और अन्य बीमारियों से बच सकेंगे।
सुरक्षित बिछावन और तापमान: ठंड के दौरान अंदर और बाहर के तापमान में काफी अंतर हो सकता है। खासकर गाय और भैंस का सामान्य शरीर का तापमान 101 से 103 डिग्री फारेनहाइट होता है, जबकि बाहर का तापमान शून्य तक जा सकता है। इसलिए, पशुओं के बिछावन की मोटाई, खिड़कियों पर बोरी के पर्दे आदि का ध्यान रखना चाहिए, ताकि शीतलहर का प्रभाव सीधे पशु पर न पड़े।
बिनौला का पशु आहार में शामिल करना: ठंड में दूध देने वाले पशुओं को बिनौला अधिक मात्रा में खिलाना चाहिए, क्योंकि यह दूध में चिकनाई बढ़ाता है। बाजरे का सेवन कम हजम होने के कारण इसे संतुलित आहार में 20% से अधिक नहीं मिलाना चाहिए।
सेंधा नमक का प्रयोग: शीतलहर में पशु के खुर के ऊपर सेंधा नमक का ढेला रखें, ताकि पशु उसे चाट कर जरूरत के अनुसार नमक प्राप्त कर सके।
हरे और सूखे चारे का संतुलन: सर्दी में केवल हरा चारा खिलाने से अपचन और अफारा की समस्या हो सकती है। इसलिए हरे चारे के साथ सूखा चारा मिलाकर देना चाहिए। हरे चारे और मुख्य चारे का अनुपात 1:3 होना चाहिए, जिससे पशु स्वस्थ और दूध देने में सक्षम बने रहें।
पानी का महत्व: पशुओं को सर्दी में गुनगुना, ताजे और स्वच्छ पानी भरपूर मात्रा में पिलाना चाहिए, क्योंकि पानी दूध उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है और शारीरिक प्रक्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।
धूप में रखना और मालिश करना: दिन में गर्मी होने पर पशुओं को बाहर धूप में बांधना चाहिए और उन्हें नहलाकर सरसों तेल से मालिश करनी चाहिए, ताकि उनका शरीर गर्म रहे और ठंड से बचाव हो।
दस्त और रोगों का इलाज: सर्दी के मौसम में अक्सर पशुओं में दस्त की समस्या होती है। ऐसे में तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लेकर उचित इलाज करना चाहिए। इसके साथ ही, वातावरण में नमी के कारण खुरपका, मुंहपका और गला घोटू जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। इन बीमारियों से बचने के लिए समय पर टीकाकरण करवाना बेहद जरूरी है। वहीं, ठंड में सबसे ज्यादा छोटे और नवजात पशु प्रभावित होते हैं। ठंड की वजह से इन पशुओं में दस्त, निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। दस्त, निमोनिया से ज्यादातर गाय-भैंस के नवजात बच्चे एवं छोटे पशुओं की बड़ी संख्या में मौत हो जाती है। छोटे एवं नवजात पशु के लीवर में फ्लूक नाम रोग हो जाता है। इस रोग से बचाने के लिए गाय-भैंस के नवजात शिशुओं को उनके शरीर भार के अनुसार कृमिनाशक दवाएं अल्बोमार, बैनामिन्थ, निलवर्म, जानिल आदि देते रहना चाहिए और परजीवी नाशक औषधि बदल-बदल कर देते रहना चाहिए। वहीं, पशु चिकित्सक को जल्द से जल्द दिखाना चाहिए।
इस प्रकार, सर्दी के मौसम में पशुओं की देखभाल और सही पशु आहार सुनिश्चित करके उन्हें स्वस्थ और खुशहाल रखा जा सकता है।
निष्कर्ष: सर्दियों में पशुओं की देखभाल के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है, ताकि वे स्वस्थ रहें और उनका दूध उत्पादन भी अच्छा रहे। साथ ही दूधारू पशुओं की देखभाल में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे और दूध उत्पादन में कोई कमी न आए। ठंड के मौसम में पशुओं को अतिरिक्त ऊर्जा, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों की जरूरत होती है, ताकि वे शीतलहर और बर्फबारी से बच सकें और शरीर का तापमान बनाए रख सकें। इसके लिए उन्हें संतुलित पशु आहार देना जरूरी है, जिसमें भूसा, बिनोला, घास और अन्य मोटे चारे का सही अनुपात हो।सर्दियों में पशुओं की भूख बढ़ जाती है, इसलिए उन्हें सामान्य दिनों से अधिक चारा देना चाहिए। इसके अलावा, ठंड में गाय और भैंस के लिए हरा चारा और मुख्य चारा 1:3 के अनुपात में देना चाहिए। चारा के साथ-साथ उन्हें गुनगुना पानी और नमक जैसे खनिज भी देना चाहिए, जिससे उनका पाचन तंत्र सही से काम करे और शरीर में गर्मी बनी रहे।
सर्दी के मौसम में विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए कि पशुओं के बाड़े में हवा का उचित प्रवाह हो और वे शीतलहर से बच सके। बाड़े को साफ रखना और बिछावन की मोटाई भी उचित रखनी चाहिए। इसके साथ ही, जब पशु बीमार पड़ें या कोई लक्षण दिखें तो उन्हें तुरंत पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
सर्दियों में पशुओं को गुड़ और सरसों का तेल देना भी लाभकारी होता है, क्योंकि यह उन्हें ठंड से बचाता है और दूध उत्पादन बढ़ाता है। सर्दी के मौसम में विशेष देखभाल और संतुलित पशु आहार से न केवल पशु स्वस्थ रहते हैं, बल्कि उनका दूध उत्पादन भी बेहतर होता है। पशुपालकों को इन बातों का ध्यान रखने से सर्दी के मौसम में पशुओं को किसी भी प्रकार की समस्या से बचाया जा सकता है और वे अच्छा स्वास्थ्य बनाए रख सकते हैं।
पशुआहार से जुड़े कुछ सवाल:
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गाय और भैंसों के आहार में अनाज और दानों का क्या महत्व है?
अनाज और दाने गाय और भैंसों के आहार में ऊर्जा का प्रमुख स्रोत होते हैं। जैसे चावल की भूसी, मक्का और गेहूं की भूसी दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती हैं। इन दानों से पशुओं को उच्च ऊर्जा मिलती है और उनकी पाचन क्रिया बेहतर होती है, जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि होती है
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मौसम के अनुसार पशु आहार में क्या बदलाव करना चाहिए?
मौसम के अनुसार पशुओं के आहार में बदलाव जरूरी होता है। गर्मियों में पानी की अधिक आवश्यकता होती है, जबकि सर्दियों में ऊर्जा देने वाले आहार की मात्रा बढ़ानी चाहिए। सर्दियों मंं चारा और घास की मात्रा बढ़ानी चाहिए, जबकि गर्मियों में ताजे घास और पर्याप्त पानी पर ध्यान देना चाहिए।
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पशुओं को दिए जाने वाले संतुलित और सामान्य आहार में क्या फर्क है?
संतुलित आहार वह होता है, जिसमें पशु की सभी पोषण संबंधी आवश्यकताएँ जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन्स, और मिनरल्स सही मात्रा में शामिल होते हैं, ताकि पशु का स्वास्थ्य और उत्पादन अच्छा रहे। वहीं सामान्य आहार केवल कुछ आवश्यक तत्वों पर आधारित होता है, जो हमेशा पर्याप्त नहीं हो सकते, जिससे पशु का विकास और उत्पादकता प्रभावित हो सकती है। संतुलित आहार में अधिक ध्यान रखा जाता है कि सभी पोषक तत्व उचित अनुपात में मिले, जबकि सामान्य आहार में ये तत्व कम या असंतुलित हो सकते हैं।
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क्या पशु आहार में बदलाव उत्पादन क्षमता को प्रभावित करता है?
हां, पशु आहार में बदलाव उनकी उत्पादन क्षमता को प्रभावित करता है। सही आहार से दूध उत्पादन, मांस उत्पादन और अन्य उत्पादकता में सुधार हो सकता है। जब पशुओं को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, तो उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है और उत्पादन में वृद्धि होती है।