कैसे तैयार करें पौष्टिक पशु आहार?

अगर पशुपालकों को दोगुना आर्थिक लाभ कमाना है तो उन्हें अपने पशुओं को पौष्टिक और संतुलित आहार देने की जरूरत है। बिना इस आहार के न तो पशुपालक दोगुना लाभ कमा सकते हैं और न ही उनके पशु स्वस्थ रह सकते। लेकिन ज्यादातर पशुपालक अपने पशुओं को भरपूर पोषण नहीं देते, जिससे पशुओं का शारीरिक विकास रुक जाता है। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आ जाती है। इसलिए पशुपालकों को पशु आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि पशु स्वस्थ रहे और उसका दूध उत्पादन प्रभावित न हो. संतुलित आहार पशुओं के लिए बेहद जरूरी है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे पशुओं के लिए पौष्टिक पशु आहार तैयार करें। पशुओं के लिए कौन से पोषक तत्व जरूरी होते हैं और कितनी मात्रा में उन्हें ये सब देना चाहिए। पशु आहार से जुड़ी और भी कई तरह के सवालों के जवाब आज हम आपको इस लेख के जरिए देंगे। बस आप पूरी जानकारी के लिए लेख को अंत तक पूरा जरूर पढ़ें।

पशु आहार में कौन–कौन से जरूरी पोषक तत्व होने चाहिए?

गाय और भैंस के आहार में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होने चाहिए, जिससे उनका स्वास्थ्य और उत्पादन क्षमता बनी रहे। साथ ही वे अच्छे से दूध भी दे सकें। हालांकि, पोषक तत्वों की आवश्यकता पशुओं की उम्र, दूध उत्पादन, और शारीरिक स्थिति के अनुसार समय-समय पर बदलती भी रहती है, लेकिन पशुओं के लिए उनके आहार में तरह-तरह के पोषक तत्व जरूर होने चाहिए। वहीं, पोषक तत्वों का संतुलित मिश्रण पशु के विकास, स्वास्थ्य और दूध उत्पादन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

  1. कार्बोहाइड्रेट्स: यह पशुओं को ऊर्जा प्रदान करते हैं, जो उनके दैनिक कार्यों और दूध उत्पादन के लिए आवश्यक है। चारे, घास, और हरे चारे में कार्बोहाइड्रेट्स प्रमुख रूप से होते हैं। ये ऊर्जा का मुख्य स्रोत होते हैं। साथ ही कई और भी चीजों में पशुओं को यह प्राप्त होता है।
  2. प्रोटीन: यह पशुओं की मांसपेशियों और ऊतकों के निर्माण के लिए जरूरी होता है। उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन स्रोत जैसे सोया, मूंगफली का तेल और चारा प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। प्रोटीन की कमी से दूध उत्पादन में कमी और विकास में रुकावट आ सकती है।वहीं, पशुओं को सरसों, सोयाबीन, टीसी और सूर्यमुखी की खली भी दे सकते हैं।
  3. वसा: यह ऊर्जा का एक और बड़ा स्रोत है, जो पशु के शरीर को अधिक ऊर्जा प्रदान करता है। खासकर उच्च उत्पादन वाले दुधारू जानवरों को। साथ ही यह त्वचा और फर की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है।
  4. विटामिन्स: विटामिन A, D, और E, H विशेष रूप से गाय और भैंस के आहार में जरूरी होते हैं। ये उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद करते हैं।इसके अलावा अनाज, पत्तेदार सब्जियां, जौ, सूर्य का प्रकाश, गेहूं के बीज, मकई का आटा, जई, गेहूं का चोकर, गेहूं का मध्यमा, सोयाबीन का आटा, मांस और हड्डी का आटा, पोल्ट्री उपोत्पाद आटा, सूखा मट्ठा पशुओं के लिए विटामिन के कुछ प्राकृतिक खाद्य स्रोत हैं।
  5. खनिज तत्व: कैल्शियम और फास्फोरस सबसे महत्वपूर्ण खनिज होते हैं। ये हड्डियों और दांतों के निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं और दूध उत्पादन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, नमक (सोडियम क्लोराइड), मैग्नीशियम आदि भी महत्वपूर्ण खनिज होते हैं। खनिज पशुओं की हड्डियों और दांतों को मजबूत करता है। उनके पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने और संक्रमण से बचाव और तनाव से निपटने में मदद भी करता है।
  6. पानी: पानी शरीर में सभी जैविक क्रियाओं को सुचारु रूप से चलाने के लिए जरूरी होता है। यह पाचन, रक्त संचार और तापमान नियंत्रण में मदद करता है। पर्याप्त पानी की आपूर्ति न होने पर दूध उत्पादन कम हो सकता है और स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। वहीं, पशुओं को हाइड्रेटेड रखने के अलावा, उनके शरीर में होमियोस्टेसिस को बनाए रखता है। यह अन्य पोषक तत्वों को कोशिकाओं और पूरे शरीर में भी पहुंचाता है।
  7. फाइबर: घास, चारा और अन्य खाद्य पदार्थों में फाइबर पाया जाता है, जो पशुओं की पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। फाइबर की मदद से गाय और भैंस के पेट में घुमावदार प्रक्रिया के द्वारा सही प्रकार से पाचन होता है और उनकी आंतरिक सेहत बेहतर रहती है।

पशुओं को कितनी मात्रा में चारा, हरा चारा और अनाज देना चाहिए?

गाय और भैंस की डाइट उनकी सेहत और दूध उत्पादन को सीधे प्रभावित करती है। अगर हम उचित मात्रा में आहार देते हैं तो उससे पशुओं की दूध की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार होता है, साथ ही पशु स्वस्थ रहते हैं। वहीं, सही मात्रा में आहार देने से पशुपालकों के उत्पादन लागत कम होती है और पशु कम बीमार होते हैं। साथ ही पशुपालकों को भी इसका लाभ मिलता है। कई बार पर्याप्त मात्रा से अधिक आहार खिलाने से पशुओं को कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ जाता है। आइये जानते हैं कि पशुओं कि कितनी मात्रा में चारा, हरा चारा और अनाज देना चाहिए।

  1. दूध न देने वाली गाय/भैंस: अगर गाय या भैंस दूध नहीं दे रही है, तो उनके लिए आहार की मात्रा कम हो सकती है। जैसे एक गाय या भैंस को प्रतिदिन 1-1.5 किलो दाना, 3 किलो तक भूसा, और 15-20 किलो हरा चारा देना चाहिए। इसके साथ, 2% मिनरल मिक्सर और 1% नमक भी दिया जाना चाहिए।
  2. दूध देने वाली गाय: मान लें अगर आपके पास 20 लीटर से ज्यादा दूध देने वाली गाय है तो प्रति 2 किलो दूध पर 1 किलो दाना आवश्यक है। वहीं, अगर आपके पास 10 से 20 लीटर दूध देने वाली गाय है तो प्रति 3 किलो दूध के लिए 1 किलो दाना देना चाहिए। इसके अलावा 5 लीटर दूध देने वाली गाय है तो उसको 2 किलो पशु चारा (दूध के लिए) और 1 किलो पशु चारा (स्वस्थ रहने के लिए) यानी कुल 3 किलो चारा देना चाहिए।
  3. दूध देने वाली भैंस: अगर आपके पास मान लें 7 लीटर तक दूध देने वाली भैंस को प्रति 2.5 किलो दूध के लिए 1 किलो दाना देना चाहिए। वहीं, 7 लीटर से ज्यादा दूध देने वाली भैंस को प्रति 2 किलो दूध के लिए 1 किलो दाना देना चाहिए। इसके साथ ही 4-6 किलो भूसा और 25-30 किलो हरा चारा भी दिया जाना चाहिए।
  4. हरा और सूखा चारा: पशुओं को स्वस्थ रखने और उनके दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए हरा चारा आवश्यक है। वे इसे बड़े चाव से खाते हैं और आसानी से पचा पाते हैं। हरे चारे में उच्च मात्रा में विटामिन ए और खनिज पदार्थ होते हैं जो पशुओं की प्रजनन शक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, इससे पशु को समय पर गर्मी में आने में मदद मिलती है और दो ब्यांत के बीच का अंतर भी कम हो जाता है। एक वयस्क गाय या भैंस को लगभग 15-20 किलो हरा चारा देना चाहिए। इसके अलावा, 6-8 किलो सूखा चारा और 2 किलो रतिब मिश्रण (पशु आहार) भी जरूरी है। पशुओं के शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस की पूर्ति के लिए मिनरल मिक्सर और नमक दिया जाना चाहिए। इसे उनकी डाइट में 2% मिनरल मिक्सर और 1% नमक के अनुपात में शामिल करना चाहिए।
गर्भावस्था के लिए आहार: पशु गर्भवस्था में उसे 5 वें महीने से अतिरिक्त आहार दिया जाता है क्योंकि इस अवधि के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे की वृद्धि बहुत तेजी के साथ होने लगती है| इसमें स्थानीय गायों के लिए 1.25 किलो तथा संकर नस्ल की गायों व भैंसों के लिए 1.75 किलो अतिरिक्त दाना दिया जाना चाहिए। अधिक दूध देने वाले पशुओं को गर्भवस्था में 8वें माह से अथवा ब्याने के 6 सप्ताह पहले उनकी दुग्ध ग्रंथियों के पुर्ण विकास के लिए इच्छानुसार दाने की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। इस के लिए देशी नस्ल के पशुओं में 3 किलो तथा संकर गायों व भैसों में 4-5 किलो दाने की मात्रा पशु की निर्वाह आवश्यकता के अतिरिक्त दिया जाना चाहिए|


पशु आहार में प्रोटीन क्यों जरूरी है?

पशु आहार में पशुओं के लिए प्रोटीन एक बहुत महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, क्योंकि यह गाय और भैंस के शरीर के विकास, दूध उत्पादन, और सामान्य स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है। प्रोटीन से पशुओं का शरीर सही ढंग से कार्य करता है, मांसपेशियों का विकास होता है, और उनके अंगों और ऊतकों का निर्माण होता है। साथ ही इससे पशुपालकों को आर्थिक लाभ भी होता है। क्योंकि प्रोटीन से भरपूर आहार पशुओं को स्वस्थ रखता है, जिससे पशुपालकों का खर्च कम होता है और लाभ ज्यादा होता है।


प्रोटीन से मिलने वाले फायदे।

  1. दूध उत्पादन में वृद्धि: प्रोटीन गाय और भैंस के शरीर में दूध बनाने की क्षमता को बढ़ाता है। उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन से गाय और भैंस ज्यादा दूध देती हैं, जिससे दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है। इससे पशुपालकों को अधिक आय होती है।
  2. शरीर के विकास और मांसपेशियों की मजबूती: प्रोटीन से गाय और भैंस की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह उनके शरीर के विकास में मदद करता है।
  3. स्वास्थ्य में सुधार: प्रोटीन का सही सेवन पशु की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है, जिससे वे कम बीमार पड़ते हैं और स्वस्थ रहते हैं। इससे पशुपालकों का खर्च भी कम होता है क्योंकि बीमारियों का इलाज करने में काफी खर्च आता है।
  4. प्रजनन क्षमता में वृद्धि: प्रोटीन के कारण गाय और भैंस की प्रजनन क्षमता में भी सुधार होता है। यह उन्हें जल्दी गर्मी में लाता है और ब्यांत के बीच का अंतर कम करता है, जिससे उनकी प्रजनन प्रक्रिया ज्यादा प्रभावी होती है।
पशुओं को प्रोटीन देने वाले स्रोत।

  • चना और सोया: सोया और चना प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत हैं। ये पौधों से प्राप्त होते हैं और पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन प्रदान करते हैं।
  • मूंगफली का खल: मूंगफली के खल में भी प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है। यह पशुओं के आहार में मिलाने से उनकी प्रोटीन की जरूरत पूरी होती है।
  • गेहूं और मक्का: गेहूं और मक्का में भी प्रोटीन होता है, हालांकि इनका प्रोटीन स्तर सोया या चने जितना उच्च नहीं होता, लेकिन फिर भी यह अच्छे प्रोटीन स्रोत हैं।
  • घास और चारा: हरे चारे में भी कुछ हद तक प्रोटीन होता है, लेकिन यह मात्रा सूखा चारा या दाने की तुलना में कम होती है। हालांकि, हरे चारे में अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे विटामिन और खनिज होते हैं।
  • यूरीया ट्रीटेड भूसा: अगर भूसा केवल धान का है, तो इसे यूरिया से उपचारित करने पर उसमें प्रोटीन की मात्रा बढ़ाई जा सकती है।वहीं, प्रोटीन का सही अनुपात गाय और भैंस के दूध उत्पादन को बढ़ाता है। ज्यादा दूध मिलने से, पशुपालक को अधिक आमदनी होती है। उदाहरण के लिए, अगर गाय या भैंस को प्रोटीनयुक्त आहार मिलता है, तो वह प्रति दिन ज्यादा दूध दे सकती है, जिससे उनकी आय बढ़ जाती है।

साथ ही प्रोटीन से भरपूर आहार देने से गाय और भैंस के स्वास्थ्य में सुधार होता है, जिससे बीमारियों का खतरा कम होता है। इसका मतलब है कि पशुपालकों को दवाइयों और इलाज पर कम खर्च करना पड़ेगा। इसके अलावा प्रोटीन देने से गाय और भैंस की प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है। इसका मतलब है कि पशु जल्दी प्रजनन कर सकते हैं और कम समय में नए बछड़े जन्म लेते हैं, जिससे उत्पादन बढ़ता है।


पशु आहार में विटामिन और खनिजों की क्या भूमिका है?

गाय और भैंस के पशु आहार में विटामिन और खनिजों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ये पोषक तत्व पशु के समग्र स्वास्थ्य, वृद्धि, प्रजनन क्षमता, और दूध उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं। विटामिन और खनिजों से पशु की रोग प्रतिकारक क्षमता बढ़ती है, जिससे वे बीमारियों से बचते हैं। वहीं, उचित पोषण से दूध उत्पादन में वृद्धि होती है और पशुओं का वजन भी बढ़ता है। सही आहार से पशु की प्रजनन क्षमता में सुधार होता है।

विटामिनों की भूमिका
  • विटामिन A: यह दृष्टि, त्वचा की सेहत और संक्रमण से बचाव में मदद करता है। यह दूध उत्पादन को भी बढ़ाता है।
  • विटामिन D: हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। यह कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे हड्डियाँ मजबूत होती हैं।
  • विटामिन E: यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है और पशु की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
  • विटामिन K: यह रक्त के थक्के जमाने में मदद करता है, जिससे चोटों से पशु जल्दी ठीक होते हैं।

खनिजों की भूमिका
  • कैल्शियम: यह हड्डियों और दांतों की मजबूती के लिए आवश्यक है। इसके अलावा, दूध उत्पादन में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
  • फास्फोरस: यह कैल्शियम के साथ मिलकर हड्डियों को मजबूत करता है और ऊर्जा उत्पादन में मदद करता है।
  • मैग्नीशियम: यह मांसपेशियों और तंत्रिका तंतुओं के कार्य में सहायक है।
  • सोडियम और पोटेशियम: ये खनिज रक्तदाब को नियंत्रित करते हैं और शरीर में जल संतुलन बनाए रखते हैं।

पशु आहार में पानी की आवश्यकता कितनी होती है?

पशु आहार में पानी की आवश्यकता
गाय और भैंसों के पशु आहार में पानी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पानी का सही मात्रा में सेवन उनके स्वास्थ्य, दूध उत्पादन, और समग्र विकास के लिए जरूरी है। पानी उनके शरीर के सभी जैविक प्रक्रियाओं को सही ढंग से संचालित करने में मदद करता है।
गाय और भैंसों को दिनभर में जितने पानी की आवश्यकता होती है, वह उनके वजन, उम्र, आहार, और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करता है। सामान्यत: एक गाय या भैंस को प्रतिदिन 40 से 80 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। गर्म मौसम में या अधिक दूध देने वाली गायों को अधिक पानी की जरूरत होती है, जबकि सर्दियों में पानी की खपत कम हो सकती है।
जानकारी के अनुसार, एक वयस्क गाय को दिनभर में लगभग 30-50 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। गर्मियों के मौसम में जब तापमान अधिक होता है तब ज्यादा पानी की जरूरत होती है, जबकि ठंडे मौसम में पानी की खपत थोड़ी कम होती है। दूधारू पशुओं को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, क्योंकि दूध का लगभग 87% हिस्सा पानी होता है। जितना अधिक दूध उत्पादन होगा, उतनी ही अधिक पानी की जरूरत होगी। एक लीटर दूध बनाने के लिए गाय को करीब 3-5 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इसलिए यदि गाय 10 लीटर दूध देती है, तो उसे कम से कम 30-50 लीटर पानी पीने की जरूरत होती है।

पशु आहार में पानी का महत्व।
पानी का प्रमुख योगदान दूध उत्पादन में होता है। एक गाय या भैंस जितना अधिक पानी पीती है, उतना ही अधिक दूध देने की संभावना होती है।वहीं, पानी शरीर में पोषक तत्वों को अवशोषित करने और अवांछनीय पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इससे पाचन प्रक्रिया बेहतर होती है और आंतरिक अंगों का स्वास्थ्य बनाए रहता है। गर्मियों में पानी से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। यह शरीर को ठंडा करने में मदद करता है, जिससे पशु गर्मी के प्रभाव से बचते हैं। पानी खनिजों और अन्य पोषक तत्वों के संतुलन को बनाए रखने में भी सहायक होता है, जिससे पशु का समग्र स्वास्थ्य बेहतर रहता है। इसलिए, यह जरूरी है कि पशु को हमेशा ताजे और साफ पानी की आपूर्ति मिलती रहे, ताकि उनका स्वास्थ्य और उत्पादन दोनों अच्छे रहें।

पशु आहार में फाइबर का महत्व क्या है?

गाय और भैंसों के पशु आहार में फाइबर का महत्वपूर्ण स्थान होता है। फाइबर, जो मुख्य रूप से घास, चारा और अन्य पौधों से प्राप्त होता है, पशुओं के पाचन तंत्र के सही संचालन में मदद करता है। यह उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
फाइबर मांसपेशियों को सक्रिय करने और पाचन तंत्र को ठीक से कार्य करने में मदद करता है। यह आंतों की गति को बढ़ाता है, जिससे भोजन जल्दी पचता है और गैस या अपच की समस्या कम होती है।
वहीं,फाइबर पशु के पेट में घुलकर अधिक समय तक रहता है, जिससे पेट भरने की भावना बनी रहती है और पशु को अधिक समय तक ऊर्जा मिलती है। यह उनके वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसके अलावा फाइबर रुमेन (पेट का भाग) में अच्छे बैक्टीरिया की वृद्धि को बढ़ावा देता है, जो भोजन को बेहतर तरीके से पचाने में मदद करते हैं। इससे पोषक तत्वों का अवशोषण अधिक प्रभावी ढंग से होता है।

फाइबर के लाभ।
  • दूध उत्पादन और स्वास्थ्य में सुधार: सही मात्रा में फाइबर से गाय और भैंसों के दूध उत्पादन में वृद्धि होती है, क्योंकि यह पाचन में सुधार करता है और पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण होता है।फाइबर पाचन प्रक्रिया को सुचारू बनाता है, जिससे पशु को कब्ज, अपच या आंतों से संबंधित समस्याओं से राहत मिलती है।
  • वजन और गर्मी नियंत्रित करना: फाइबर से पेट भरता है, जिससे पशु अधिक खाता नहीं है और उसका वजन सही रहता है। फाइबर भोजन का पाचन धीमे तरीके से होता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संतुलन बेहतर रहता है और पशु की शरीर में गर्मी का स्तर नियंत्रित रहता है।

क्या पशुओं के आहार में समय–समय पर बदलाव करना चाहिए?

पशुओं के आहार में समय-समय पर बदलाव करना अत्यंत आवश्यक होता है। यह न केवल उनके स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए, बल्कि उनके उत्पादन स्तर को भी बढ़ाने के लिए जरूरी है। पशुओं का आहार उनके स्वास्थ्य, वृद्धि, दूध उत्पादन और प्रजनन क्षमता पर सीधा प्रभाव डालता है। इसलिए, आहार में बदलाव को समझदारी से और सही समय पर करना चाहिए। मौसम के बदलाव के साथ, पशुओं की आहार आवश्यकताएँ भी बदलती हैं। गर्मियों में पानी की अधिक आवश्यकता होती है, जबकि सर्दियों में ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थों की मात्रा बढ़ानी चाहिए। उदाहरण के लिए, सर्दियों में चारा और घास की मात्रा अधिक होनी चाहिए, जबकि गर्मियों में ताजे घास और पानी पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
दूध उत्पादन में बदलाव: जब गाय या भैंस अधिक दूध देती है, तो उसे अतिरिक्त ऊर्जा और प्रोटीन की आवश्यकता होती है। ऐसे में आहार में प्रोटीन, खनिजों और विटामिनों की मात्रा बढ़ाना जरूरी हो जाता है।
स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार: यदि पशु बीमार हो या कमजोरी महसूस कर रहा हो, तो उसके आहार में बदलाव करना चाहिए। विशेष आहार जैसे विशेष चारे, विटामिन सप्लीमेंट्स और खनिजों का सेवन उसे जल्दी ठीक होने में मदद करता है।
वृद्धि और विकास के दौरान: नवजात बछड़े या बकरी को प्रारंभ में माँ का दूध ही चाहिए, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, उसे ठोस आहार की आवश्यकता होती है। आहार में बदलाव से उसकी वृद्धि अच्छी होती है।

क्या प्राकृतिक घास और हरे चारे से पशुओं का आहार संतुलित हो सकता है?

प्राकृतिक घास और हरे चारे से पशुओं का आहार संतुलित हो सकता है, लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि घास और चारे में पर्याप्त पोषक तत्व मौजूद हों। अधिकांश पशुओं, विशेषकर गाय, बैल, और भेड़ जैसे रूटीन घास खाने वाले जानवरों के लिए प्राकृतिक घास और हरा चारा मुख्य आहार होते हैं। इन चरों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और खनिज होते हैं जो पशुओं के पोषण की जरूरतों को पूरा करने में मदद करते हैं।
प्राकृतिक घास और हरे चारे में मुख्य रूप से फाइबर, खनिज (जैसे कैल्शियम, फास्फोरस), और विटामिन A, B और E पाए जाते हैं। यह तत्व पशुओं के पाचन, हड्डियों के विकास और संपूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। हालांकि, यदि केवल घास या हरा चारा दिया जाता है, तो कुछ तत्वों की कमी हो सकती है, जैसे कि ऊर्जा की कमी, जो विशेषकर उच्च उत्पादन वाले पशुओं के लिए समस्याजनक हो सकती है।
उदाहरण के लिए, दूध देने वाली गायों को अधिक ऊर्जा और प्रोटीन की आवश्यकता होती है, जो प्राकृतिक घास में कम मात्रा में हो सकते हैं। ऐसे में आहार में अनाज या अन्य पोषक तत्वों का समावेश करना आवश्यक हो सकता है। इसके अलावा, घास के प्रकार और गुणवत्ता के आधार पर भी पोषण की उपलब्धता में भिन्नता हो सकती है।

पशु आहार को आसान तरीके से कैसे तैयार कर सकते हैं?

पशु आहार तैयार करने का आसान तरीका
गाय और भैंसों का आहार तैयार करना एक महत्वपूर्ण काम है। क्योंकि इनका सही आहार उनकी सेहत और दूध उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है। आहार को तैयार करते समय कुछ आसान और प्रभावी तरीकों का पालन किया जा सकता है। यहां कुछ सरल कदम दिए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप गाय और भैंसों का संतुलित आहार तैयार कर सकते हैं:

  • घास और हरे चारे का चयन: गाय और भैंसों के लिए ताजे और हरे चारे की आवश्यकता होती है। ये चारे प्राकृतिक घास, जैसे कि बरसीम, जई या ग्वार, या फिर अनाज की बची हुई पत्तियां हो सकती हैं। यह चारा पशुओं को फाइबर और आवश्यक विटामिन देता है। चारा ताजा और गीला न हो, क्योंकि गीला चारा सड़ सकता है और पशु की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • सूखे चारे का प्रयोग: हरे चारे के साथ-साथ, सूखा चारा (जैसे कि घास या तुड़ी) भी देना जरूरी होता है। यह चारा पाचन में मदद करता है और पेट की सफाई करता है। सूखे चारे को अच्छी तरह से साफ और सूखा रखा जाना चाहिए।
  • अनाज और दाने: गाय और भैंसों को उच्च ऊर्जा देने के लिए अनाज (जैसे चावल की भूसी, मक्का, या गेहूं की भूसी) देना जरूरी है। यह दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है। आप इन अनाजों को एक साथ मिलाकर पशु आहार में शामिल कर सकते हैं। साथ ही, इससे उनकी पाचन क्रिया भी बेहतर होती है।
  • खनिज और विटामिन: पशुओं को आवश्यक खनिज और विटामिनों की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए आप खनिज मिश्रण या खनिज लवण जैसे कैल्शियम, फास्फोरस और नमक का मिश्रण भी दे सकते हैं। यह उनकी हड्डियों के विकास और सही पाचन के लिए आवश्यक होते हैं।
  • पानी की उपलब्धता: गाय और भैंसों को हमेशा ताजे और साफ पानी की आवश्यकता होती है। पानी की सही मात्रा देना उनके पाचन और दूध उत्पादन के लिए बहुत जरूरी है। इनकी पानी की जरूरत दिन में कई बार पूरी करनी चाहिए, खासकर जब ये चारा खाते हैं।
  • आहार का समय और मात्रा: आहार देने का समय और मात्रा भी महत्वपूर्ण है। दिन में कम से कम दो बार (सुबह और शाम) गाय और भैंसों को चारा और अनाज देना चाहिए। आहार की मात्रा पशु के वजन, दूध उत्पादन और उम्र के हिसाब से बदलती रहती है।
  • साफ–सफाई: पशु आहार हमेशा साफ और ताजे होने चाहिए। पुराने या सड़े हुए चारे से पशु की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है, जिससे बीमारियां हो सकती हैं। इन सरल उपायों को अपनाकर आप गाय और भैंसों का आहार आसानी से तैयार कर सकते हैं, जिससे वे स्वस्थ रहें और अधिक दूध दे सकें।

सस्ता और सबसे कारगर पशु आहार कैसे बनता है?

सस्ता और कारगर पशु आहार तैयार करना किसानों और पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे न केवल पशुओं की सेहत में सुधार होता है, बल्कि उत्पादन भी बढ़ता है। इस लेख में हम एक सरल और सस्ता पशु आहार बनाने की विधि के बारे में जानेंगे, जिसमें उपयोग किए गए सभी सामग्रियों को उचित मात्रा में मिलाना आवश्यक है।
सस्ता और प्रभावी पशु आहार बनाने के लिए सबसे पहले हमें 40 किलो मक्का चाहिए। मक्का पशुओं के लिए एक उत्कृष्ट ऊर्जा स्रोत है और यह उन्हें ताकत प्रदान करता है। इसके साथ, 16 किलो बिनौला खल का भी प्रयोग करें। बिनौला खल पशुओं को प्रोटीन, फाइबर और आवश्यक फैटी एसिड्स प्रदान करता है, जो उनकी वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। आहार में 16 किलो दालों की चूरी भी मिलानी चाहिए। दालों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और खनिज होते हैं, जो पशुओं की ऊर्जा और विकास में सहायक होते हैं। फिर, 25 किलो चोकर का भी समावेश करें। चोकर फाइबर का अच्छा स्रोत होता है, जो पाचन क्रिया को सुधारता है और पेट साफ रखता है।इसके अलावा, 2 किलो मिनरल मिक्सचर मिलाना भी जरूरी है, क्योंकि इसमें कैल्शियम, फास्फोरस और अन्य महत्वपूर्ण खनिज होते हैं, जो पशुओं की हड्डियों और शरीर की मजबूती को बनाए रखते हैं। अंत में, 1 किलो नमक मिलाएं, जो उनके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बनाए रखने में मदद करता है। इन सभी सामग्रियों को अच्छे से मिला लें और एक समान मिश्रण तैयार कर लें। यह आहार पशुओं की सेहत और उत्पादन को बेहतर बनाता है, साथ ही यह किसानों के लिए सस्ता और प्रभावी होता है। इसके अलावा मक्का, जौ, गेहूं, बाजरा, चावल, सरसों की खली, मूंगफली की खली, बिनौला की खली, अलसी की खली, गेहूं का चोकर, चना की चूरी, दालों की चूरी, राइस ब्रैन, खनिज लवण, नमक इन सभी को पर्याप्त मात्रा में मिलाकर भी अपने को पशु को खिला सकते हैं।

पशुआहार से जुड़े कुछ सवाल:

  1. गाय और भैंसों को पानी की कितनी आवश्यकता होती है?
    गाय और भैंसों की पानी की आवश्यकता उनके वजन, उम्र, आहार और पर्यावरणीय परिस्थितियों पर निर्भर करती है। सामान्यत: एक गाय या भैंस को प्रतिदिन 40 से 80 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। गर्म मौसम में या अधिक दूध देने वाली गायों को अधिक पानी की जरूरत होती है, जबकि सर्दियों में पानी की खपत कम हो सकती है।
  2. गर्मी और सर्दी में पानी की खपत में क्या अंतर होता है?
    गर्मी के मौसम में तापमान अधिक होने के कारण गाय और भैंसों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, क्योंकि उनका शरीर तापमान को नियंत्रित करने के लिए ज्यादा पानी का उपयोग करता है। वहीं, सर्दी के मौसम में पानी की खपत कम हो सकती है, क्योंकि शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है।
  3. पशुओं के लिए चारा, दाना की मात्रा तय करना क्यों जरूरी है
    पशुओं के लिए चारा और दाना की उचित मात्रा तय करना जरूरी है, क्योंकि इससे उनकी सेहत, विकास और उत्पादन क्षमता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। सही मात्रा में पोषक तत्व मिलने से पशु स्वस्थ रहते हैं और दूध उत्पादन या मांस वृद्धि बेहतर होती है। अधिक या कम आहार देने से पेट की समस्याएँ और पोषण की कमी हो सकती है।
  4. गर्मी और सर्दी के मौसम में पशुओं का आहार कैसे बदलना चाहिए?
    गर्मी में पशुओं को अधिक पानी और ताजे घास की आवश्यकता होती है, जबकि सर्दी में ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ जैसे चारा और घास की मात्रा बढ़ानी चाहिए। इससे पशुओं को मौसम के अनुसार आवश्यक पोषण मिलता है और वे स्वस्थ रहते हैं।