सस्ते और पौष्टिक आहार का सही इस्तेमाल करके पशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है और खर्चों में भी बचत कर सकते हैं। लेकिन कैसे इस बात की जानकारी अधिकांश पशुपालकों को नहीं होती, जिससे वे इसका लाभ नहीं उठा पाते। आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे की किस तरह से साइलेज को तैयार कर सकते हैं और कैसे इसकी मात्रा का निर्धारण करें। इसके अलावा साइलेज को किस मौसम में देना सबसे ज्यादा अच्छा और लाभदायक होता है इस सवाल से भी काफी पशुपालक अंजान होते हैं तो इस सवाल का जवाब भी हम इस लेख में देंगे। साथ ही साइलेज को खराब होने से बचाने के कई तरीके कौन-कौन से है उसकी जानकारी भी इस लेख में प्रदान की जाएगी। बस आप लेख को अंत तक पूरा जरूर पढ़ें।
पशुपालकों को साइलेज से होने वाला आर्थिक लाभ।
साइलेज देने से पशुपालकों को बहुत तरह के आर्थिक लाभ होते हैं। इसके उपयोग से पशुपालक अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं और अपने पशुपालन व्यवसाय को बेहतर बना सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि साइलेज में उच्च गुणवत्ता वाली पोषण सामग्री होती है, जो पशुओं को बेहतर आहार प्रदान करता है। चारा की गुणवत्ता और पोषण स्तर पशुओं के दूध उत्पादन और उनके स्वास्थ्य पर सीधा असर डालता है। साइलेज से दूध की गुणवत्ता में सुधार होता है और उत्पादन में भी वृद्धि होती है, जिससे पशुपालक को बेहतर आर्थिक लाभ मिलता है। वहीं, साइलेज का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकता है।
साथ ही साइलेज उत्पादन के लिए मुख्य रूप से हरी घास या अन्य फसलें जैसे मक्का, जौ, घास आदि का उपयोग किया जाता है। ये फसलें बहुत कम लागत में उगाई जा सकती हैं। साइलेज को सही तरीके से संरक्षित करके, पशुपालक इसे सर्दी और गर्मी दोनों मौसमों में इस्तेमाल कर सकते हैं, जो उन्हें चारे के लिए अतिरिक्त खर्चे से बचाता है। साइलेज के उत्पादन और संरक्षण के लिए कम भूमि की आवश्यकता होती है, और इसे पशुपालकों द्वारा आसानी से तैयार किया जा सकता है। इसके उत्पादन में किसी बड़े भंडारण या विशेष सुविधाओं की आवश्यकता नहीं होती, जिससे छोटे और मध्यम दर्जे के पशुपालक भी इसे अपनाकर लाभ उठा सकते हैं।
पशुओं के लिए साइलेज की सही मात्रा।
साइलेज की सही मात्रा को निर्धारित करना कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे पशुओं की नस्ल, उम्र, उत्पादन स्तर (दूध या मांस), मौसम और साइलेज की गुणवत्ता। साथ ही सही मात्रा में साइलेज देने से पशुओं के स्वास्थ्य, दूध उत्पादन, और समग्र विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साइलेज की सही मात्रा को निर्धारित करने के लिए सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि पशु की पोषण संबंधी आवश्यकताएं क्या हैं। सामान्यत: पशुओं को एक दिन में उनके शरीर के वजन के हिसाब से चारे की आवश्यकता होती है। जब भी पशुओं को साइलेज खिलाएं तो धीरे-धीरे साइलेज की मात्रा को बढ़ाएं। वहीं, साइलेज के साथ ही 50 ग्राम मीठा सोडा भी साथ में जरूर खिलाएं। इससे पशुओं को किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
वहीं, पशुओं को एक भाग सूखा चारा, एक भाग साइलेज मिलाकर खिलाना चाहिए। यदि हरे चारे की कमी हो, तो साइलेज की मात्रा ज्यादा भी की जा सकती है। साइलेज बनाने के 30-35 दिन बाद साइलेज खिलाया जा सकता है। एक सामान्य पशु को 20-25 किलोग्राम साइलेज प्रतिदिन खिलाया जा सकता है। वहीं, दूधारू पशुओं को साइलेज दूध निकालने के बाद खिलायें, ताकि दूध में साइलेज की गंध न आए । इसके अलावा मौसम का भी साइलेज की आवश्यकता पर असर पड़ता है। गर्मी के मौसम में जब पशुओं का पाचन कमजोर हो सकता है, तो साइलेज की मात्रा में कमी की जा सकती है। वहीं, सर्दी में पशुओं को अधिक साइलेज दिया जा सकता है। क्योंकि सर्दी में उन्हें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। साइलेज के साथ-साथ पशुओं को अन्य प्रकार के आहार जैसे ताजे चारे, हरे चारे, घास, और अनाज भी दिया जाता है। इन सभी आहारों का संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है ताकि पशुओं को आवश्यक पोषण मिल सके। साइलेज केवल एक स्रोत है, और इसे अन्य आहारों के साथ मिलाकर दिया जाना चाहिए ताकि सभी पोषक तत्वों की पूर्ति हो सके।
साइलेज को खराब होने से बचाने के उपाय।
साइलेज को खराब होने से बचाने के लिए उचित समय पर फसल काटना, नमी का संतुलन बनाए रखना, उसे सही तरीके से पैक और सील करना, लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया का उपयोग, सही भंडारण स्थान का चुनाव, और उसे समय पर उपयोग करना महत्वपूर्ण कदम हैं। इन उपायों से साइलेज की गुणवत्ता बनाए रखी जा सकती है। साइलेज की गुणवत्ता बनाए रखना और उसे खराब होने से बचाने के लिए कुछ जरूरी सावधानियों की आवश्कता होती है।
जैसे साइलेज बनाने के लिए सबसे उपयुक्त समय वह होता है जब पौधे पूर्णतया विकसित हो चुके होते हैं, लेकिन उनके बीज पूरी तरह से पक नहीं गए हों। यदि फसल को जल्दी काट लिया जाए, तो उसमें पर्याप्त नमी और पोषक तत्व नहीं होंगे, जबकि बहुत देर से काटने पर पौधों में अधिक फाइबर होगा, जिससे साइलेज की गुणवत्ता घट सकती है। इसलिए, फसल को सही समय पर काटना बहुत महत्वपूर्ण है। वहीं, यदि नमी कम हो तो सूखा साइलेज तेजी से खराब होता है और उसमें पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। सामान्यत: साइलेज का आदर्श नमी स्तर 60-70% होता है। साइलेज बनाने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पौधों में नमी का स्तर उपयुक्त हो। साइलेज को खराब होने से बचाने के लिए उसे सही तरीके से पैक और सील करना जरूरी है। क्योंकि हवा के संपर्क में आने से ऑक्सीजन साइलेज में घुस सकती है, जो उसे जल्दी खराब कर सकती है।
वहीं, साइलेज को ऐसे स्थान पर संग्रहित करना चाहिए जहाँ पर पर्याप्त जल निकासी हो और जो नमी से मुक्त हो। साइलेज को ठंडी और सूखी जगह पर रखा जाना चाहिए। अधिक नमी वाली जगह पर साइलेज रखने से उसमें फफूंदी और बैक्टीरिया का विकास होता है, जो उसे जल्दी खराब कर सकते हैं। यदि खुले में साइलेज का भंडारण किया जा रहा है, तो उसे बारिश से बचाने के लिए उपयुक्त कवर या शेड का उपयोग किया जाना चाहिए। साइलेज का भंडारण जितना लंबा होता है, उतना अधिक समय वह खराब होने की संभावना बढ़ाता है। इसलिए, साइलेज को जल्दी और सही तरीके से उपयोग करना चाहिए। जब भी पुराने साइलेज का इस्तेमाल किया जाए, तो यह सुनिश्चित करें कि वह सही रूप में है और उसमें किसी प्रकार की खराबी, जैसे कि फफूंदी या बदबू, न हो। जब साइलेज को सिलोज़ या बैग से बाहर निकाला जाता है, तो उसे साफ और सुरक्षित तरीके से निकाला जाना चाहिए। अगर इसे ठीक से बाहर नहीं निकाला गया या उसमें नमी, मोल्ड, या बैक्टीरिया मिल गए तो यह जल्दी खराब हो सकता है। इसलिए, साइलेज निकालते समय सफाई और सही प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
साइलेज पशुओं को किस मौसम में देना उचित?
साइलेज को किसी भी मौसम में दिया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में देने पशुओं के लिए अच्छा माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय ताजे हरे चारे की उपलब्धता कम होती है और साइलेज पशुओं के लिए एक अच्छा आहार स्रोत साबित होता है। वहीं, सर्दियों में पशुओं को अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है ताकि वे ठंड से बच सकें और अपना उत्पादन बनाए रखें (विशेषकर दूध देने वाली गायों के लिए)। साइलेज में फाइबर, प्रोटीन, और ऊर्जा की पर्याप्त मात्रा होती है, जो पशुओं को स्वस्थ रखने में मदद करती है। सर्दी में साइलेज देने से पशु की पाचन क्रिया बेहतर रहती है, और साइलेज में मौजूद लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया पाचन में सहायक होते हैं, जिससे उनकी आंतरिक क्रिया बेहतर होती है। इसके अलावा, सर्दियों में पशुओं का दूध उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है, लेकिन साइलेज का सही इस्तेमाल दूध उत्पादन में वृद्धि कर सकता है, क्योंकि यह पशुओं को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।
वहीं, गर्मी के मौसम में साइलेज का उपयोग ध्यान से करना चाहिए। गर्मी में पशुओं का पाचन कमजोर हो सकता है और उनकी पानी की खपत बढ़ जाती है। ऐसे में, साइलेज की अधिक मात्रा देने से पाचन में समस्या हो सकती है, क्योंकि यह थोड़ा भारी हो सकता है। हालांकि, अगर गर्मी के मौसम में हरे चारे की उपलब्धता कम हो जाए, तो साइलेज का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन इसकी मात्रा को नियंत्रित करना जरूरी है। गर्मी में साइलेज को अन्य हल्के चारे जैसे हरे चारे या गुड़ व दलहन के साथ मिश्रित करके दिया जा सकता है, ताकि इसका पाचन आसान हो और पशुओं को पर्याप्त ऊर्जा भी मिले। साइलेज में नमी की अधिकता और हरे चारे की संरचना के कारण गर्मी में इसे ज्यादा मात्रा में देने से पशुओं के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि पाचन समस्याएं और गर्मी के कारण शरीर में अत्यधिक गर्मी का संचय।
इसके अलावा बरसात के मौसम में घास और चारे का उत्पादन सामान्यत: अधिक होता है, लेकिन यह भी सही समय होता है जब साइलेज का उपयोग बंद किया जा सकता है, क्योंकि ताजे हरे चारे की उपलब्धता पर्याप्त होती है। इस मौसम में, पशुपालकों को साइलेज देने की आवश्यकता नहीं होती, जब तक कि कोई विशेष परिस्थिति न हो, जैसे कि बारिश के कारण हरे चारे का सड़ना या खराब होना। इस समय, अगर साइलेज को दिया जाए तो उसकी मात्रा कम रखनी चाहिए और ताजे हरे चारे के साथ उसका मिश्रण करना चाहिए। हालांकि, मौसम के अनुसार साइलेज की मात्रा और उपयोग में संतुलन बनाए रखना पशुपालकों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे स्वस्थ रहें और उनका उत्पादन प्रभावी तरीके से जारी रहे।
साइलेज किस समय खिलाना अधिक फायदेमंद।
साइलेज देने का समय पशुओं के स्वास्थ्य, मौसम और उनके आहार की जरूरतों पर निर्भर करता है। आमतौर पर, सुबह का समय अधिक उपयुक्त माना जाता है। क्योंकि पशु ताजे और अधिक भूखे होते हैं और उनका पाचन तंत्र अधिक सक्रिय रहता है। सुबह साइलेज देने से पशुओं के शरीर में ऊर्जा का सही प्रकार से वितरण होता है, जिससे दिनभर उनके उत्पादन और पाचन में मदद मिलती है। साथ ही सुबह के समय साइलेज देने से दूध देने वाली गायों के दूध उत्पादन में भी सुधार हो सकता है। इस समय पर दिया गया आहार उन्हें दिनभर में ज्यादा ऊर्जा और पोषण प्रदान करता है, जिससे उनका दूध उत्पादन बेहतर हो सकता है। इसके अलावा, साइलेज में जो फाइबर और प्रोटीन होते हैं, उनका पाचन सुबह के समय अधिक कुशलता से होता है।
वहीं,शाम का समय भी फायदेमंद हो सकता है, विशेषकर ऊर्जा संचित करने और रात के दौरान उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए। शाम के समय साइलेज देने के भी अपने फायदे हैं। शाम को पशु अपने दिनभर के कामों के बाद अधिक आराम की स्थिति में होते हैं, और उनका शरीर रात भर के लिए ऊर्जा संचित करने के लिए तैयार होता है। इस समय साइलेज देने से पशु अपने शरीर में पर्याप्त ऊर्जा और पोषक तत्व जमा कर सकते हैं, जो रात के दौरान उनके शरीर की मरम्मत और वृद्धि में सहायक होते हैं। इसके अलावा कुछ पशुपालक दोनों समय साइलेज देना पसंद करते हैं, ताकि पशुओं को पूरे दिन में पोषण और ऊर्जा मिलती रहे। सुबह और शाम दोनों समय साइलेज देने से पशु पूरे दिन पर्याप्त पोषण प्राप्त करते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और दूध या मांस उत्पादन में कोई कमी नहीं आती। यह तरीका खासतौर पर उन पशुओं के लिए फायदेमंद है जो उच्च दूध उत्पादन या मांस के लिए पाले जाते हैं, क्योंकि उन्हें लगातार ऊर्जा और पोषण की आवश्यकता होती है। वहीं, मौसम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्मी के मौसम में, जब पशुओं का पाचन धीमा हो सकता है, तो साइलेज को सुबह जल्दी देना बेहतर होता है, क्योंकि इस समय तापमान कम होता है और पशु आराम से भोजन कर सकते हैं। वहीं, सर्दी के मौसम में शाम को साइलेज देना बेहतर हो सकता है, क्योंकि पशु दिनभर की गतिविधियों के बाद आराम की स्थिति में होते हैं और रात को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
साइलेज से पशुओं को होने वाली हानि।
साइलेज से पशुओं को हानि हो सकती है। जब इसे अत्यधिक मात्रा में पशुओं को खिला दिया जाए। वहीं, जब साइलेज बनाया जाता है तो इसमें घुलनशील कार्बोहाइड्रेट के अंदर किनुअन होता है जिससे लैक्टिक एसिड पैदा होता है। ये पशु के रूमन का पीएच स्तर गिरने लगता है। वहीं, जब आप साइलेज के साथ अनाज या अन्य पदार्थ देते हैं तो इसका स्तर और भी अधिक गिर जाता है। यही कारण है जिसकी वजह से पशु के दूध की गुणवत्ता और उत्पादकता घटने लगती है। अगर पशु को इस स्थिति से बचाना है तो साइलेज के साथ 50 ग्राम मीठा सोडा उसे खिलाएं। इससे ये पीएच स्तर कम नहीं होगा और पशु को होने वाली समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ेगा। अगर पशुपालक भाई रोजाना पशु को 50 ग्राम मीठा सोडा नहीं दे सकते तो उन्हें एक दिन छोड़कर भी ये मीठा सोडा दे सकते हैं। अगर नियमित रूप से पशुओं को साइलेज के साथ मीठा सोडा दिया जाए तो वे पूरी तरह स्वस्थ रहेंगे।
कौन से पशुओं को साइलेज खिला सकते हैं?
साइलेज सभी प्रकार के पशुओं को खिलाया जा सकता है। हालांकि, साइलेज का उपयोग मुख्य रूप से उन पशुओं के लिए किया जाता है जो रेशेदार आहार खाते हैं, जैसे कि गाय, भैंस, भेड़, बकरी और कुछ मामलों में घोड़े। यह विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब हरी घास की उपलब्धता कम हो, जैसे ठंडे मौसम में या सूखा पड़ने पर। साइलेज के उचित उपयोग से पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, दूध उत्पादन में वृद्धि हो सकती है और उनके पाचन तंत्र को भी लाभ होता है। गायों को साइलेज बहुत पसंद आता है और यह उनके लिए एक प्रमुख आहार स्रोत बन सकता है। गायों को विशेष रूप से डेयरी उद्देश्यों के लिए साइलेज दिया जाता है। क्योंकि यह उन्हें आवश्यक ऊर्जा, प्रोटीन और फाइबर प्रदान करता है। साइलेज का सेवन करने से दूध उत्पादन में वृद्धि हो सकती है और गायों की पाचन क्रिया भी बेहतर होती है।
वहीं, भैंसों के लिए भी साइलेज एक अच्छा आहार होता है। भैंसों को बड़े पैमाने पर दूध उत्पादन के लिए पाला जाता है और साइलेज का सेवन उन्हें पोषण की दृष्टि से लाभकारी होता है। भैंसों को साइलेज देने से उनके शरीर को आवश्यक ऊर्जा मिलती है, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होती है। भैंसों की पाचन क्रिया में भी सुधार होता है और यह उनकी स्वास्थ्य स्थिति को बेहतर बनाता है।
इसके अलावा साइलेज का उपयोग भेड़ों के लिए भी किया जा सकता है। खासकर जब घास की कमी होती है या मौसम बहुत ठंडा होता है। साइलेज में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो भेड़ों के पाचन तंत्र को सही बनाए रखता है। बकरियों और घोड़ों को भी साइलेज दिया जा सकता है। बकरियों का पेट बहुत संवेदनशील होता है, लेकिन जब साइलेज को ठीक से तैयार किया जाता है, तो यह बकरियों के लिए एक अच्छा आहार बन जाता है। साइलेज में आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो बकरियों की वृद्धि और दूध उत्पादन में मदद करते हैं। बकरियां सामान्यतः हरी घास के साथ साइलेज को भी पसंद करती हैं।
गाभिन पशुओं को साइलेज दे सकते हैं या नहीं।
गाभिन पशुओं को साइलेज देना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यदि यह सही तरीके से दिया जाए और इसकी गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए। साइलेज का सेवन गाभिन पशुओं की सेहत, उनकी ऊर्जा आवश्यकताओं, और दूध उत्पादन को बढ़ा सकता है। हालांकि, इसे संतुलित आहार के रूप में दिया जाना चाहिए, ताकि पशु को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें और उसकी गर्भावस्था सुरक्षित और स्वस्थ रहे। साइलेज में उच्च मात्रा में रेशे, ऊर्जा, प्रोटीन और खनिज होते हैं, जो गाभिन पशुओं की सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। गर्भावस्था के दौरान पशुओं को बेहतर पोषण देने के लिए उचित चारा बेहद महत्वपूर्ण होता है, ताकि बच्चे का सही तरीके से विकास हो सके और माँ की सेहत भी बनी रहे।
साइलेज में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, फाइबर और खनिज जैसे कैल्शियम, फास्फोरस आदि होते हैं, जो गाभिन पशुओं के लिए आवश्यक होते हैं। इन पोषक तत्वों का संयोजन पशु की शारीरिक स्थिति को बेहतर बनाता है और गाभिन पशु के शरीर को सही पोषण प्रदान करता है, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण सावधानियाँ रखनी चाहिए। जैसे अगर साइलेज खराब गुणवत्ता का हो या उसमें सड़न हो, तो यह गाभिन पशु के लिए हानिकारक हो सकता है। खराब साइलेज से संक्रमण और पाचन समस्याएँ हो सकती हैं, जो गाभिन पशु की सेहत को प्रभावित कर सकती हैं। साइलेज के साथ-साथ अन्य आहार, जैसे कि खनिजों और विटामिन्स से समृद्ध चारा भी जरूरी है। सिर्फ साइलेज पर निर्भर रहना सही नहीं होता। गाभिन पशु को संतुलित आहार देना बहुत जरूरी होता है ताकि उसे सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें। कभी-कभी बहुत अधिक साइलेज का सेवन भी समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। इसलिए, साइलेज का सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए।
पशुआहार से जुड़े कुछ सवाल:
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गाय और भैंस के लिए साइलेज कितना फायदेमंद है?
साइलेज गाय और भैंस को बेहतर पाचन, उच्च दूध उत्पादन और स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। यह हरे चारे की पूर्ति करने का एक अच्छा और सस्ता विकल्प है।
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क्या साइलेज पशुपालकों के लिए महंगा होता है?
साइलेज बनाने की लागत शुरूआत में थोड़ी अधिक हो सकती है, लेकिन यह मात्रा और किस तरह से तैयार कर रहे हैं। इस पर भी निर्भर करता है। कई बार कुछ ही चारों से यह तैयार हो जाता है कम लागत में। हालांकि, साइलेज लंबी समय के लिए किफायती साबित होता है, क्योंकि यह हरे चारे की कमी के दौरान एक अच्छा विकल्प होता है और पशुओं की सेहत बनाए रखता है।
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क्या साइलेज को किसी भी मौसम में खिला सकते हैं?
पशुपालक और किसान भाई साइलेज को किसी भी मौसम में खिला सकते हैं, लेकिन यह विशेष रूप से तब उपयोगी होता है जब ताजे हरे चारे की कमी होती है, जैसे सर्दियों में।