क्या पशु आहार से बेहतर है साइलेज? – जानें पूरी जानकारी।

पशुओं के लिए हरा चारा (जैसे घास, मक्का, ज्वार आदि) पोषण का प्रमुख स्रोत है। यह चारा ताजगी से भरपूर होता है और पशुओं को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। लेकिन यह हर मौसम में उपलब्ध नहीं होता। खासकर सर्दियों और गर्मियों में हरे चारे की कमी अधिक होने लगती है। ऐसे में पशुओं के लिए साइलेज एक अच्छा विकल्प हो सकता है, या नहीं। यह सवाल अक्सर पशुपालकों के मन में उठता है। तो इस सवाल का जवाब आपको हमारे इस लेख में मिलेगा। साथ ही क्या पशु आहार से बेहतर साइलेज है, साइलेज के क्या-क्या फायदे होते हैं, साइलेज कैसे बनता है और साइलेज से संबंधित ऐसे कई सवालों के जवाब भी इस लेख में आपको मिलेंगे। इसके अलावा साइलेज और हरे चारे के बीच का अंतर और लाभ क्या-क्या हैं। इस बारे में भी बताएंगे। बस इसके लिए आप पूरे लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

क्या होता है साइलेज?

पशुओं के लिए साइलेज पोषक तत्वों से भरपूर एक पौष्टिक आहार है। साथ ही साइलेज को दूधारू पशुओं के लिए वरदान माना गया है। आपको बता दें हरे चारे को लंबे समय तक संरक्षित करने की प्रक्रिया ही साइलेज है। इसकी खास बात ये है कि साइलेज सालभर पशुओं को खिलाया जा सकता है। इसमें हरे चारे और दाने दोनों के ही गुण पाए जाते हैं। इसमें 20 प्रतिशत तक मक्के के दाने का प्रयोग होता है। साइलेज में प्रोटीन, क्रूड फाइबर, स्टार्च, जिंक, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, पोटेशियम सहित विभिन्न तरह के पोषक तत्व होते हैं। इसे बनाने में आमतौर पर मक्का, बाजरा, ज्वार इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। इसके प्रयोग से दूध उत्पादन क्षमता में वृद्धि के साथ दूध के फैट की मात्रा भी बढ़ जाती है। इससे पशुपालकों को दूध के बढ़िया दाम मिलते हैं। आपको बता दें पशुपालक साइलेज को बाजार से भी खरीद सकते हैं तो वहीं इसे खुद भी तैयार किया जा सकता है। इसके साथ ही साइलेज का स्वाद भी पशुओं को काफी पसंद आता है औऱ वे इसे बड़े चाव से खाते हैं।


साइलेज खिलाने के फायदे।

पशुओं को साइलेज खिलाने के बहुत तरह के फायदे मिलते हैं। जैसे साइलेज को एक बार तैयार कर लेने के बाद यह पूरे साल उपयोग में लाया जा सकता है। हरे चारे के विपरीत, यह मौसम पर निर्भर नहीं होता, जिससे पशुपालकों को पूरे साल अच्छी गुणवत्ता का चारा मिल सकता है। वहीं, साइलेज में फर्मेंटेशन प्रक्रिया से पोषक तत्वों का बेहतर संरक्षण होता है। इसके अलावा साइलेज का स्वाद हरे चारे के मुकाबले अधिक स्वादिष्ट हो सकता है क्योंकि फर्मेंटेशन के दौरान उसमें एक खास खट्टा स्वाद आता है, जो पशु पसंद करते हैं। इससे पशु अधिक चारा खाते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार होता है और दूध उत्पादन बढ़ता है। साइलेज पाचन तंत्र के लिए अच्छा होता है, क्योंकि इसमें प्रोबायोटिक्स होते हैं जो आंतों में अच्छे बैक्टीरिया का विकास करते हैं। साथ ही यह पशुओं की शारीरिक स्थिति को बेहतर बनाता है, जिससे दूध की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार हो सकता है। साइलेज पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे वे अधिक स्वस्थ रहते हैं और बीमारियों से लड़ने में सक्षम होते हैं। यह उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाता है और उनकी उत्पादकता में वृद्धि करता है।

साइलेज बनाने का तरीका।

साइलेज बनाने का तरीका
सबसे पहले साइलेज बनाने के लिए मक्का की फसल का चयन करना ता है। मक्का को उस समय काटा जाता है जब उसके दाने दूधिया अवस्था में होते हैं। इस अवस्था में मक्के के दाने पूरी तरह से विकसित होते हैं, लेकिन उनमें पर्याप्त मात्रा में नमी और पोषक तत्व होते हैं, जो साइलेज बनाने के लिए उपयुक्त होते हैं। मक्का के भुट्टे सहित इसे काटा जाता है ताकि हरे पत्ते और डंठल भी उसमें शामिल हो सकें, जो साइलेज के पोषण मूल्य को बढ़ाते हैं। फिर कटाई के बाद, मक्के को अच्छे से काटकर छोटे-छोटे टुकड़ों में पीस लिया जाता है। पिसी हुई मक्का को अब इनक्यूलेंट से उपचारित किया जाता है। इनक्यूलेंट एक बैक्टीरिया मिश्रण होता है, जो फर्मेंटेशन प्रक्रिया को बढ़ावा देता है और साइलेज में पोषक तत्वों के संरक्षण में मदद करता है। यह बैक्टीरिया चारे को संरक्षित करता है और हानिकारक बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है।
अब पिसे हुए मक्के और अन्य हरे पौधों को फिर मशीनों की मदद से अच्छे से दबाया जाता है। इसे बेलर मशीनों के माध्यम से अच्छी तरह से दबाया जाता है। बेलर मशीन साइलेज को सही आकार और घनत्व में पैक करने में मदद करती है। साइलेज को पैक करते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि उसमें हवा का प्रवेश न हो, जिससे फर्मेंटेशन की प्रक्रिया सही तरीके से हो सके। इसे एयर टाइट पैकिंग में बंद किया जाता है, ताकि हवा और ऑक्सीजन का संपर्क कम से कम हो और फर्मेंटेशन प्रक्रिया पूरी तरह से सफल हो सके। पैक किए गए साइलेज को लगभग 21 से 30 दिनों तक रखा जाता है, ताकि उसमें पूरी तरह से फर्मेंटेशन हो सके। इस दौरान, मक्का और अन्य हरे पौधों में मौजूद चीनी और अन्य तत्व बैक्टीरिया के कारण फर्मेंट होते हैं, जिससे साइलेज में खट्टा स्वाद आता है। यह स्वाद पशुओं के लिए आकर्षक होता है और उनके पोषण में मदद करता है। फर्मेंटेशन की प्रक्रिया साइलेज को पौष्टिक और आसानी से पचने योग्य बनाती है। साइलेज के निर्माण में इस्तेमाल की गई आधुनिक मशीनें, जैसे बेलर मशीन, उच्च गुणवत्ता वाले साइलेज का निर्माण करती हैं। इन मशीनों का उपयोग साइलेज को अच्छी तरह से पैक करने और उच्च गुणवत्ता का सुनिश्चित करने में मदद करता है। साइलेज की गुणवत्ता और स्वाद में सुधार करने के लिए यह जरूरी है कि इसे सही तरीके से तैयार किया जाए।
इसके अलावा इस दूसरे तरीके से भी बनाया जा सकता है। साइलेज को गड्‌ढों में भी बनाया जाता है। जमीन के नीचे बनाए गए साइलेज अच्छे रहते हैं और आसानी से बन जाते हैं। पशुपालकों के लिए इसे गड्ढे में तैयार करना सबसे उपयुक्त माना जाता है। साइलेज से 8 फीट चौड़े और 12 फीट गहरे गड्ढे में पशुओं के लिए 3 महीने का चारा संरक्षित किया जा सकता है। साइलेज के लिए गड्ढे बनाए जाते हैं और इन गड्ढे की दीवारें धरातल से थोड़ी ऊपर उठी होनी चाहिए, जिससे बारिश का पानी गड्ढे में न जा सके। साइलेज एक महीने में पशुओं को खिलाने के लिए तैयार हो जाता है। इसके बाद गड्ढे को कभी भी खोल सकते हैं। हालांकि, पूरा गड्ढा न खोलकर एक किनारे से ही साइलेज निकालना चाहिए। ऐसा न करने से गड्ढे में साइलेज के सड़ने-गलने का भय रहता है। वहीं, अच्छे साइलेज की पहचान उसके चमकदार रंग और ताजगी से होता है।

साइलेज बनाने के लिए सबसे अच्छा पौधा।

साइलेज बनाने के लिए सबसे अच्छा पौधों में मक्का, बाजरा, घास (जैसे कि ज्वार, बरसीम, और ग्वार) और हरी मटर शामिल हैं। इनमें से मक्का को साइलेज के लिए सबसे प्रभावी पौधा माना जाता है। मक्का का पौधा उच्च पोषण तत्वों से भरपूर होता है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो पशुओं के लिए लाभकारी है। मक्का का स्टेम और पत्तियाँ भी साइलेज के लिए उपयुक्त होते हैं। क्योंकि इनका पर्याप्त नमी और संरचनात्मक गुणवत्ता साइलेज को अच्छे से सुरक्षित करने में मदद करती है। मक्का तेजी से बढ़ता है और इसे कई जलवायु में उगाया जा सकता है, जिससे यह पशुपालकों के लिए एक आदर्श विकल्प बनता है।
इसके अलावा, बाजरा और ज्वार जैसे पौधे भी अच्छे विकल्प होते हैं। विशेष रूप से सूखे और गर्म क्षेत्रों में, क्योंकि ये कम पानी में भी अच्छी वृद्धि कर सकते हैं। इन पौधों में भी पौष्टिक तत्व होते हैं, जो पशुओं के लिए उपयुक्त होते हैं।


साइलेज बनाने में खर्च और लाभ।

साइलेज बनाने में खर्च और लाभ
साइलेज बनाने में अधिक खर्च भी हो सकता है औऱ कम भी। यह पशुपालकों पर निर्भर करता है। हालांकि, हरे चारे, दाने से कम ही साइलेज में खर्च आता है।
साइलेज बनाने में मुख्य खर्चों में बीज, खाद, सिंचाई, श्रम, और फसल की कटाई एवं प्रसंस्करण शामिल हैं। बीज की लागत फसल के प्रकार और गुणवत्ता पर निर्भर करती है। मक्का, ज्वार या बाजरा जैसी फसलों के बीज की कीमत अलग-अलग हो सकती है। खाद और उर्वरकों का खर्च भी फसल की वृद्धि और उत्पादन को बढ़ाने के लिए आवश्यक है। सिंचाई की लागत क्षेत्रीय जल स्रोत और मौसम पर निर्भर करती है। यदि सिंचाई के लिए बोरवेल या पंप की जरूरत है, तो यह खर्च बढ़ सकता है। श्रम लागत में खेत की देखभाल, फसल काटने और साइलेज तैयार करने में लगने वाली मेहनत शामिल होती है। इसके अतिरिक्त, मशीनरी जैसे ट्रैक्टर, चॉपर आदि की लागत भी होती है, जो समय के साथ बढ़ सकती है।
वहीं, लाभ की बात करें तो साइलेज बनाने से लाभ मुख्य रूप से पशुओं के लिए गुणवत्ता वाले चारे की उपलब्धता से होता है। यह फसल चारा संकट के दौरान मददगार होती है, विशेष रूप से सूखा या कम घास वाले क्षेत्रों में। साइलेज पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है और उनके स्वास्थ्य को बनाए रखता है, जिससे दूध उत्पादन में वृद्धि होती है। इसके अलावा, किसानों को साइलेज की बिक्री से भी लाभ हो सकता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां चारे की कमी होती है।
कुल मिलाकर, साइलेज बनाने में पहले खर्च ज्यादा हो सकता है, लेकिन यदि सही ढंग से प्रबंधन किया जाए तो यह एक लाभकारी कृषि कार्य बन सकता है, जो किसान की आय को स्थिर और बढ़ा सकता है।
हरे चारे के अभाव में साइलेज से कमी पूरी की जा सकती है तथा खर्चा भी कम होता है।वहीं, साइलेज सूखे चारों की अपेक्षा कम स्थान घेरती है। साइलेज पौष्टिक अवस्था में अधिक समय तक रखा जा सकता है।
वहीं, सवाल उठता है कि आखिर ये नुकसानदायक कब हो जाता है। तो आपको बता दें कि जब साइलेज बनाया जाता है तो इसमें घुलनशील कार्बोहाइड्रेट के अंदर किनुअन होता है जिससे लैक्टिक एसिड पैदा होता है। ये पशु के रूमन का पीएच स्तर गिरने लगता है। वहीं, जब आप साइलेज के साथ अनाज या अन्य पदार्थ देते हैं तो इसका स्तर और भी अधिक गिर जाता है। यही कारण भी है जिसकी वजह से पशु के दूध की गुणवत्ता और उत्पादकता घटने लगती है।

क्या साइलेज है पशु आहार से ज्यादा किफायती?

अगर पशुपालकों के पास अपनी ज़मीन पर उपयुक्त पौधों की खेती के लिए संसाधन हैं, तो साइलेज पशु आहार से कहीं अधिक किफायती साबित हो सकता है। यह न केवल स्थिरता प्रदान करता है, बल्कि लागत को भी नियंत्रित रखता है। विशेष रूप से जब चारे की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है। पशु आहार, जैसे कि ताजे घास, चोकर, या अन्य बाज़ार से खरीदी जाने वाली सामग्री, महंगे हो सकते हैं। इनकी गुणवत्ता और उपलब्धता मौसम और बाजार पर निर्भर करती है, जिससे लागत अस्थिर हो सकती है। यदि सही पौधों का चयन किया जाए (जैसे मक्का, ज्वार या घास), तो साइलेज उत्पादन में अपेक्षाकृत कम लागत आती है। इन फसलों को अधिक जल और पोषण की आवश्यकता नहीं होती, और ये तेजी से उगती हैं, जिससे फसल का उत्पादन बढ़ता है। विशेष रूप से सूखा या चारे की कमी वाले क्षेत्रों में साइलेज एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। साइलेज पशुओं को वर्ष भर उपलब्ध रहता है, खासकर जब घास या अन्य चारा स्रोत उपलब्ध नहीं होते। साइलेज की लंबी शेल्फ लाइफ होती है, क्योंकि यह फर्मेंटेशन प्रक्रिया के कारण अधिक समय तक खराब नहीं होता, जिससे पशुपालक इसे आवश्यकता के समय उपयोग कर सकते हैं।

पशु आहार खिलाएं या फिर साइलेज?

पशु आहार खिलाएं या फिर साइलेज?
अगर आपके पास साइलेज बनाने के लिए उपयुक्त संसाधन हैं और आप लंबे समय तक स्थिरता चाहते हैं, तो साइलेज बेहतर विकल्प हो सकता है। वहीं, यदि ताजे चारे की अच्छी आपूर्ति है और आप ताजे आहार के लाभ चाहते हैं, तो पशु आहार को प्राथमिकता दी जा सकती है। दोनों का संतुलित उपयोग करना, विशेष रूप से मौसम के हिसाब से, सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। इसके अलावा, पशु आहार और साइलेज दोनों के अपने-अपने लाभ हैं, और यह निर्णय कि किसे खिलाना चाहिए, कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि पशु की किस्म, मौसम, भूमि संसाधन और लागत। साइलेज का मुख्य लाभ यह है कि इसे फसल के समय काटकर फर्मेंट किया जाता है, और यह लंबे समय तक खराब नहीं होता। साइलेज सर्दी और गर्मी दोनों में पशुओं को दिया जा सकता है, क्योंकि इसे सालभर संग्रहित किया जा सकता है। यह पशुओं को अधिक पोषण देता है और खासकर जब ताजे चारे की कमी होती है, तब यह एक अच्छा विकल्प है। साइलेज को उगाने में एक बार की मेहनत और निवेश की आवश्यकता होती है, लेकिन एक बार तैयार होने पर यह किफायती और स्थिर आपूर्ति प्रदान करता है। वहीं, पशु आहार में ताजे घास, चोकर, अनाज, और अन्य उत्पाद शामिल होते हैं। यह पौष्टिकता की दृष्टि से बहुत अच्छा हो सकता है, खासकर जब पशुओं को ताजे, उच्च गुणवत्ता वाले चारे की आवश्यकता हो। हालांकि, ताजे चारे की उपलब्धता मौसम और जलवायु पर निर्भर करती है। बरसात के मौसम में ताजे चारे की आपूर्ति अधिक होती है, लेकिन गर्मी या सूखा होने पर इसकी कमी हो सकती है। इसके अलावा, बाजार से खरीदी जाने वाली सामग्री महंगी हो सकती है, जिससे लागत अधिक हो सकती है।

कहां से खरीदें साइलेज?

साइलेज खरीदने के लिए कई स्थानों से इसका स्रोत मिल सकता है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस क्षेत्र में स्थित हैं और आपके पास उपलब्ध संसाधन क्या हैं। लेकिन साथ ही साइलेज खरीदते समय, इसकी गुणवत्ता और ताजगी को सुनिश्चित करना जरूरी है, क्योंकि खराब गुणवत्ता का साइलेज पशुओं की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • कृषि सहकारी समितियाँ और संगठन: कई राज्यों में कृषि सहकारी समितियाँ या किसान उत्पादक संगठन (FPOs) साइलेज तैयार करते हैं और उसे बेचते हैं। ये समितियाँ किसानों को उच्च गुणवत्ता वाला साइलेज उपलब्ध कराती हैं, जो आमतौर पर उचित कीमत पर होता है। आप अपने नजदीकी कृषि सहकारी समिति से संपर्क कर सकते हैं।
  • कृषि बाजार और थोक विक्रेता: कई बड़े कृषि बाजारों में साइलेज थोक में बिकता है। विशेष रूप से, उन स्थानों पर जहां बड़े पैमाने पर मवेशी पालन होता है, साइलेज आसानी से उपलब्ध होता है। आप नजदीकी कृषि बाजारों में जाकर साइलेज खरीद सकते हैं।
  • कृषि उत्पादक और फार्म: कुछ बड़े फार्म और कृषि उत्पादक भी साइलेज तैयार करके बेचते हैं। यदि आपके पास किसी किसान से सीधा संपर्क है, तो वह आपको ताजे और स्थानीय साइलेज का विकल्प दे सकता है।
  • ऑनलाइन मार्केटप्लेस: कुछ ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स, जैसे कि कृषि संबंधित ईकॉमर्स साइट्स, साइलेज की बिक्री करते हैं। आप इन वेबसाइटों पर जाकर साइलेज की गुणवत्ता, कीमत और उपलब्धता की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • कृषि मशीनी केंद्र: साइलेज तैयार करने वाली मशीनों और उपकरणों के विक्रेता भी अक्सर साइलेज बेचते हैं। यहां से भी आपको ताजे साइलेज के विकल्प मिल सकते हैं।

निष्कर्ष

साइलेज एक अत्यंत लाभकारी और स्थिर चारा है, जो किसानों और पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित हो सकता है। खासकर जब यह सही तरीके से तैयार किया जाए और प्रबंधित किया जाए। यह फर्मेंटेशन प्रक्रिया से बनता है, जिसमें फसल को एक विशेष तरीका अपनाकर संरक्षित किया जाता है।
साइलेज की मुख्य विशेषता यह है कि इसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है, और यह विभिन्न मौसमों में उपलब्ध रहता है। यह पशुओं के लिए पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो दूध उत्पादन और मांसपेशियों के विकास में सहायक है। साइलेज के प्रमुख लाभों में से एक यह है कि यह उच्च गुणवत्ता वाले चारे की कमी को पूरा करता है, खासकर सूखा या वर्षा की कमी वाले क्षेत्रों में। इससे किसानों को ताजे चारे की अनुपलब्धता के समय भी अपने पशुओं को पौष्टिक आहार देने में मदद मिलती है। इसके अलावा, साइलेज बनाने की प्रक्रिया में एक बार की लागत आती है, लेकिन लंबे समय में यह आर्थिक रूप से लाभकारी हो सकता है, क्योंकि यह साल भर उपलब्ध रहता है। हालांकि, साइलेज बनाने में कुछ निवेश की आवश्यकता होती है, जैसे बीज, खाद, श्रम और उपकरण की लागत, लेकिन जब सही तरीके से प्रबंधित किया जाए, तो यह एक स्थिर और किफायती विकल्प बन सकता है। साथ ही, यह मवेशियों की सेहत को बनाए रखने और उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है।

पशुआहार से जुड़े कुछ सवाल:

  1. साइलेज में स्वाद का क्या अंतर होता है?
    साइलेज का स्वाद हरे चारे के मुकाबले अधिक स्वादिष्ट हो सकता है। यह फर्मेंटेशन प्रक्रिया के कारण होता है, जिसमें एक खट्टा स्वाद उत्पन्न होता है। यह खट्टा स्वाद पशुओं को पसंद आता है, जिससे वे अधिक चारा खाते हैं और उनके स्वास्थ्य में सुधार होता है। इससे दूध उत्पादन भी बढ़ सकता है।
  2. साइलेज से पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति में कैसे सुधार होता है?
    साइलेज से पशुओं की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होता है क्योंकि यह उनके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। इसके अलावा, साइलेज में प्रोबायोटिक्स होते हैं, जो आंतों में अच्छे बैक्टीरिया का विकास करते हैं, जिससे पाचन तंत्र बेहतर होता है। साइलेज पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे वे अधिक स्वस्थ रहते हैं और बीमारियों से लड़ने में सक्षम होते हैं। इससे उनकी उत्पादकता और जीवन स्तर में सुधार होता है।
  3. साइलेज का पाचन तंत्र पर क्या प्रभाव होता है?
    साइलेज पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें प्रोबायोटिक्स होते हैं जो आंतों में अच्छे बैक्टीरिया का विकास करते हैं। इस कारण से पशुओं का पाचन तंत्र बेहतर रहता है, जिससे उन्हें अधिक पोषण मिलता है। इसके साथ ही, साइलेज में मौजूद पोषक तत्वों के कारण दूध उत्पादन भी बढ़ सकता है।
  4. साइलेज बनाने में क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
    साइलेज बनाने के दौरान यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि फसल सही समय पर काटी जाए, ताकि उसमें पर्याप्त पोषक तत्व और नमी हो। फसल को फर्मेंटेशन के लिए उपयुक्त तरीके से पैक और सील किया जाना चाहिए। सही भंडारण स्थान का चुनाव भी महत्वपूर्ण है, ताकि साइलेज खराब न हो और इसके पोषक तत्व बनाए रहें। इस प्रक्रिया में मेहनत और निवेश की आवश्यकता होती है, लेकिन एक बार तैयार होने पर यह स्थिर आपूर्ति और किफायती विकल्प प्रदान करता है।